पूर्वांचल

कर्ज में डूबे पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के जानपद द्वारा मात्र दो दिन का लाखो के जलपान का बिल पेश किया, प्रबन्धन के मुह पर लगा ताला

वाराणसी18सितंबर:पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम जो कर्ज के मर्ज से जूझ रहा हो उस कम्पनी 48घण्टे में तीन लाख का होता जलपान यह घटना कोई काल्पनिक कहानी नही हकीकत है फरवरी2021में दो दिन में तीन लाख रुपये से ज्यादा का जलपान विभाग के लोगो को घोटालेबाज गैंग के सदस्यों द्वरा कराया गया जो इन दिनों सुर्खियों है और इस घटना को अंजाम देने वाले जान पद(सिविल )के अधिकारी है जानपद सिविल डिवीजन में घोटाले और भ्रस्टाचार का सिलसिला थमने का नाम ही नही ले रहा यहा के जिम्मेदार ही काग दृष्टि बगुले ध्यानम की मुद्रा में हमेशा समूचे डिस्कॉम में भटकते नजर आते हैं और जैसे ही मौका मिलता है किसी बड़े घोटाले को अंजाम देने से नही चूकते इस विभाग में हर दिन UPPCL में बैठे ईमानदार छवि की पहचान रखने वाले चेयरमैन और पूर्वांचल के प्रबंधनिदेशक की बारीक नजरो में धूल झोंक कर बड़े आराम से बडे बड़े भ्रस्टाचार को अंजाम दिया जाता है विगत दिनों एक श्रमिक को टीजी 2 के ग्रेड पर नियुक्त करने की घटना को अंजाम दिया गया पर प्रबन्धन मानो आँख में तेल डालें खामोश मुद्रा में नजर आ रहा है ऐसा लगता है कि इस भ्रस्टाचारी ने प्रबंधन को भी चांदी के जूते से ठीक ठाक सेवा करी तभी तो खुलेआम भ्रष्टाचार कर सजा से भी बच निकला जबकि खुलेआम यहाँ के भ्रष्टाचारियो द्वारा UPPCL की नियमावली का चीरहरण करते नजर आते है परन्तु इस प्रकरण पर प्रबन्धन का खमोश रहना इस बात को सिद्ध करने के लिए काफी है किस कदर यहा भ्रस्टाचार का साम्राज्य कायम है आइऐ हम पाठको को एक नये घोटाले से रूबरू कराते हैं फरवरी माह में पूर्वांचल की सभी कार्यदायी कम्पनियों के लंबित बीजको का वेरिफिकेशन होने के लिए मात्र 2 दिन 10 और 11 फरवरी को बैठके आहूत हुई जिसमें जलपान की व्यवस्था सिविल डिवीजन को सौपी गयी मात्र दो दिन के जलपान के मद में सिविल डिवीजन के भ्रष्टाचारियो द्वारा तीन लाख रुपये से ज्यादा का खर्च दिखा कर बिल का भुगतान करा लिया गया जबकि जिन कार्यदायी संस्थाओं बिल वेरिफाई हुए उनके भुगतान अभी लंबित है जिसे लेकर कार्यदायी कम्पनियों के प्रतिनिधियों ने पूर्वांचल के प्रबंधनिदेशक के आवास पर धरना प्रदर्शन करने की नोटिस भी मुख्यालय को दे दिया है आखिर इतने बड़े पैमाने पर भ्रस्टाचार करने वाले सिविल के संगठित गिरोह यानि गैग के रूप में काम कर रहे भ्रष्टाचारियो पर प्रबन्धन की खमोशी क्यो ? आखिर क्यू नही होती जांच और कार्यवाही ? इसका मतलब साफ बन्द कमरे मे चलता है चांदी का जूता नीचे से लेकर ऊपर तक बैठे अधिकारियो के मुह पर दी जाती है सेवा। खैर

 

युद्ध अभी शेष है

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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