एक झलक

“कैसे करें मां दुर्गा के छठे स्वरुप मां कात्यायनी को प्रसन्न”

11अक्टूबर2021

कात्यायनी नवदुर्गा या हिंदू देवी पार्वती (शक्ति) के नौ रूपों में छठवें रूप है। यह अमरकोष में पार्वती के लिए दूसरा नाम है, संस्कृत शब्दकोश में उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हैमावती, इस्वरी इन्ही के अन्य नाम हैं। शक्तिवाद में उन्हें शक्ति या दुर्गा, जिसमे भद्रकाली और चंडिका भी शामिल है, में भी प्रचलित हैं। यजुर्वेद के तैत्तिरीय आरण्यक में उनका उल्लेख प्रथम किया है। स्कंद पुराण में उल्लेख है कि वे परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से उत्पन्न हुई थी, जिन्होंने देवी पार्वती द्वारा दी गई सिंह पर आरूढ़ होकर महिषासुर का वध किया। परंपरागत रूप से देवी दुर्गा की तरह वे लाल रंग से जुड़ी हुई है।

नवरात्रि उत्सव के षष्ठी में उनकी पूजा की जाती है। उस दिन साधक का मन ‘आज्ञा’ चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक माँ कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों को सहज भाव से माँ के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं।

कैसे करें पूजा – गोधुली वेला (शाम) कात्यायनी की पूजा की जाती है। सबसे पहले फूलों से मां कात्यायनी को प्रणाम कर मंत्र का जाप करें। इसके अलावा इस दिन दुर्गा सप्तशती के 11वें अध्याय का पाठ करें। माता को पुष्प और जायफल अर्पित करें। देवी मां के साथ इस दिन भगवान शिव की भी पूजा की जाती है। पुराणों के मुताबिक इस दिन मां कात्यायनी की पूजा करने से गृहस्थ लोगों के जीवन में खुशहाली आती है। साथ ही विवाह के लिए प्रयत्नशील लोगों को भी शुभ फल प्राप्त होता है।

इस मंत्र से माता होंगी प्रसन्न – मां कात्यायनी को शहद तथा लाल रंग प्रिय है, इसलिए इस दिन लाल रंग वाले कपड़े पहने और माता को शहद का भोग लगाएं। कात्यायनी की पूजा के लिए इस मंत्र का उच्चारण करें –चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना।

कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनि।।

” विवाह में आ रही परेशानी को दूर करने के लिए करें माँ कात्यायनी की पूजा”

गोधूलि वेला में पीले वस्त्र धारण करें। माँ के समक्ष दीपक जलायें और उन्हें पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद 3 गाँठ हल्दी के चढ़ाएं। माँ कात्यायनी के मन्त्रों का जाप करें।

मन्त्र

“कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी।

नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।”

पूजा के बाद हल्दी की गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *