अपना देश

जीवन प्रति क्षण एक नईं चुनौती प्रस्तुत करता है

August 15- 2021

जो मिले, जब मिले और जितना मिले उसी में संतुष्ट रहना आपको स्वयं तो आनंद से भर ही देता है साथ ही साथ दूसरों में भी आपके प्रति सम्मान की भावना का उदय कर देता है। जीवन प्रति क्षण एक नईं चुनौती प्रस्तुत करता है। एक नईं परिस्थिति आपके सम्मुख उपस्थित कर देता है लेकिन जो इन सभी प्रतिकूलता अथवा अनुकूलता को समभाव से स्वीकार कर लेता है वह महान अथवा पूजनीय अवश्य बन जाता है।

भगवान भोलेनाथ के जीवन की यह सीख बड़ी ही अद्भुत है। कभी दूध भी मिला तो प्रसन्न हो गये कभी केवल पानी ही मिला तो भी प्रसन्न हो गये। कभी किसी ने शहद अर्पित किया तो प्रसन्न हो गये और किसी ने धतूरा भी अर्पित किया तो सहर्ष स्वीकार कर लिए। केवल एक विल्व पत्र पर रीझने वाले भगवान भोले नाथ जीव को यह सीख देना चाहते हैं कि जरूरी नहीं कि हर बार उतना ही मिलेगा जितना आपकी इच्छा है। कभी-कभी कम मिलने पर भी अथवा जो मिले, जब मिले और जितना मिले उसी में संतुष्ट रहना तो सीखो। तुम आशुतोष बनकर न पूजे जाओ तो कहना।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *