अपना देश

त्याग की महिमा हमें भगवान शिव से सीखनी चाहिए

 

 

 

7अगस्त2021

संग्रह से मनुष्य कभी भी मूल्यवान नहीं बन सकता मनुष्य, समाज में मूल्यवान बनता है तो वह सिर्फ अपने त्याग के कारण। भगवान शिव इसलिए नहीं पूजे जाते कि उनके पास स्वर्ण भंडार भरे पड़े हैं अपितु इसलिए पूजे जाते हैं, कि स्वर्ण लंका का दान कर सकने की सामर्थ्य रखने पर भी वो खुले आसमान के नीचे जीवन यापन करते हैं। त्याग की महिमा हमें भगवान शिव से सीखनी चाहिए।

स्वयं माँ अन्नपूर्णा के स्वामी होने पर भी जो पकवान और मिष्ठान नहीं अपितु फल-फूल व पत्तों का रसपान कर अपना जीवन निर्वहन करते हैं। कुछ लोग जीने के लिए खाते हैं और कुछ लोग जीते ही खाने के लिए हैं। भगवान शिव का त्याग हमें यह सन्देश देता है कि संग्रह आपको सुख साधन तो उपलब्ध करा देगा मगर शांति अथवा प्रसन्नता कभी भी नहीं दे पायेगा। अतः जीवन में प्रसन्न और समाज में प्रतिष्ठित रहना है, तो खाने के लिए न जीकर जीने के लिए खाना सीख लो।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *