एक झलक

दुर्गा पूजा अष्टमी: महागौरी भर देती हैं झोली इस विधि से करें पूजा

13अक्टूबर2021

महागौरी : माता का रंग पूर्णत: गौर अर्थात् गोरा है इसीलिए वे महागौरी कहलाती है।

नवरात्रि की अष्टमी तिथि को आठ वर्ष की कन्या की पूजा करें, उसके चरण धुलाकर भोजन करवाएं फिर उपहार देकर आशीर्वाद लें, आपकी गौरी पूजा संपन्न होगी।

कौन हैं मां गौरी और क्या है इनका महत्व

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा का विधान है। भगवान शिव की प्राप्ति के लिए इन्होंने कठोर पूजा की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था। जब भगवान शिव ने इनको दर्शन दिया तब उनकी कृपा से इनका शरीर अत्यंत गोरा हो गया और इनका नाम गौरी हो गया।

माना जाता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी। मां गौरी श्वेत वर्ण की हैं और श्वेत रंग में इनका ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है।

विवाह सम्बन्धी तमाम बाधाओं के निवारण मैं इनकी पूजा अचूक होती है।

मां गौरी की पूजा विधि

पीले वस्त्र धारण करके पूजा आरम्भ करें। मां के समक्ष दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें।

पूजा में मां को श्वेत या पीले फूल अर्पित करें। उसके बाद इनके मन्त्रों का जाप करें।

अगर पूजा मध्य रात्रि में की जाय तो इसके परिणाम ज्यादा शुभ माने जाते है।

मां की उपासना सफेद वस्त्र धारण करके करें। मां को सफेद फूल और सफेद मिठाई अर्पित करें। साथ में मां को इत्र भी अर्पित करें।

मां को अर्पित किया हुआ इत्र अपने पास रख लें और उसका प्रयोग करते रहें।

इस प्रकार मां की पूजा करने से मां महागौरी भक्त की सभी मनोकामनएं पूर्ण करती हैं और अपनी कृपा बनाएं रखती हैं।

अष्टमी तिथि के दिन कन्याओं को भोजन कराने की परंपरा है, इसका महत्व और नियम क्या है ?

नवरात्रि केवल व्रत और उपवास का पर्व नहीं है। यह नारी शक्ति और कन्याओं के सम्मान का भी पर्व है।

इसलिए नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं को पूजने और भोजन कराने की परंपरा भी है हालांकि नवरात्रि में हर दिन कन्याओं की पूजा की परंपरा है पर अष्टमी और नवमी को कन्याओं की अवश्य ही पूजा की जाती है।

2 वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्या की पूजा का विधान किया गया है। अलग-अलग उम्र की कन्या देवी के अलग अलग रूप को बताती है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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