एक झलक

पुजारी नहीं हो सकता मंदिर का मालिक -सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली09सितंबर: सुप्रीम कोर्ट ने भू-राजस्व के रिकॉर्ड में पुजारियों के नाम जोड़े जाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि एक पुजारी किसी भी मंदिर की जमीन या सम्पत्ति का मालिक नहीं हो सकता। वह सिर्फ एक सेवक की तरह काम करता है। मंदिर की सम्पत्ति का मालिक उसका देवता ही होता है।

जस्टिस हेमंत गुप्ता व एएस बोपन्ना की बेंच ने कहा कि पुजारी के पास मंदिर या मंदिर की सम्पत्ति केवल प्रबंधन के लिए ही होती है। वह सिर्फ देवता की जगह पर उस मंदिर में काम करता है। चूंकि, देवता का नाम कानून में विधि सम्मत है इसलिए भू राजस्व के रिकॉर्ड में देवता के नाम ही मंदिर की सम्पत्ति रखी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही भू-राजस्व के रिकॉर्ड से पुजारियों के नाम हटाने के भी आदेश दिए हैं।

कोर्ट ने कहा कि पुजारी उस जमीन की सिर्फ देखभाल करता है। वह सिर्फ एक किराएदार जैसा है। जो भी पुजारी होगा व मंदिर के देवताओं की देखभाल के साथ उससे जुड़ी जमीन पर खेती का काम भी करेगा।

मध्य प्रदेश के 1959 के सर्कुलर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इसी मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सर्कुलर को बरकरार रखा है। इस सर्कुलर में पुजारियों के नाम भू राजस्व के रिकॉर्ड से हटाने के आदेश दिए गए थे, जिससे मंदिर की सम्पत्ति को अवैध रूप से बेचे जाने से बचा जा सके।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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