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हाय हाय पावरकार्पोरेशन,आखिर क्यो पडा आकाल निदेशको का उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे

लखनऊ 31 जुलाई: आखिरकार क्यो पडा आकाल निदेशको का समय का उपभोक्ता समाचार पत्र” अपने पाठको को इस यक्ष प्रश्न का उत्तर मय साक्ष्यो के आधार पर देगा और एक महत्वपूर्ण जानकारी भी देना चाहता है कि हमारी “NGO उपभोक्ता संरक्षण उत्थान समिति” ने उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे अवैध रूप से नियुक्त अध्यक्ष , प्रबंध निदेशको व निदेशको स्तर पर हो रही नियम विरुद्ध नियुक्तियो के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय मे दो जनहित याचिका भी दायर कर रखी है जिसकी सुनवाई भी चल रही है खैर *अब पाठको के समक्ष वो साक्ष्य रखते है कि जिसमे लिखा हुआ है कि निदेशक, प्रबंध निदेशक और चेयरमैन की नियुक्ति कैसे होनी चाहिए (पाठको से माफी मागते है क्यो कि यह लेख कुछ ज्यादा लम्बा होगा कृपया पूरा पढे ) उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन का मेमोरेंडम आफ आर्टिकल के पेज नम्बर 15 -16 पर निदेशको की नियुक्ति के नियम व उनमे क्या क्या विषेशता होनी चाहिए उसका पूर्ण विवरण लिखा है और कैसे चयना प्रक्रिया होगी उसका पूर्ण विवरण संक्षेप मे लिखा हुआ है । 

 उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के अध्यक्ष हो प्रबंध निदेशक हो या कोई निदेशक सभी पदो के लिए इच्छुक अभियार्थी को उक्त पद के लिए निकले विज्ञापन के आधार पर आवेदन फार्म भरना पडता है लेकिन आज तक उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के इतिहास मे ना तो अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन और ना ही प्रबंध निदेशक पावर कार्पोरेशन के लिए कोई विज्ञापन निकाला गया है बस मन मानी नियुक्ती अनुभवहीन बडका बाबूओ की सीधी नियम विरुद्ध नियुक्ति व इस अनुभवहीनता बडका बाबूओ की नियुक्ति का फायदा भ्रष्टाचारी उठाते है जिसका खामियाज़ा अधिकारियो से ले कर प्रदेश की जनता तक को भुगताना पडता है आज जो कार्पोरेशन की हालत है उसके सबसे बडे जिम्मेदार यही अनुभव हीन बडका बाबूओ की अवैध रूप से नियुक्त फौज है ।यह बडका बाबूओ द्वारा ना तो कही कोई इस पद के लिए आवेदन किया जाता है और ना ही इनका चयन ही चयन समिती के माध्यम से किया जाता है *बस सीधी तैनाती वो भी संविदा के पद पर। उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे ऐसे ऐसे *प्रबंध निदेशक हुए है जो कि कृषि वैज्ञानिक, पशु चिकित्सक , विधि विशेषज्ञ , सिविल अभियन्ता आदि है अब पाठक खुद ही सोचे इस घोर अभियांत्रिक विभाग ऐसे ऐसे अनुभवहीन लोगो के हाथो मे रहा है जिनको अभियांत्रिका क ख ग भी नही आता जैसे एक खाना बनाने वाले को लडाकू जहाज उडाने को दे दिया जाऐ तो वहाँ घाटा नही होगा तो क्या होगा । *मेमोरेंडम आफ आर्टिकल मे लिखा है कि अभियार्थी मुख्य अभियन्ता स्तर( 1) का ही होना चाहिए परन्तु उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे तो भ्रष्टाचारियो का साम्राज्य स्थापित हर काम चांदी के जूते के जोर पर ही होता है और बडका बाबूओ को तो नियमो का कुछ पता ही नही होता तो जैसा तैसा भ्रष्टाचारियो ने समझा दिया और प्रमाण के तौर पर पिछले विज्ञापन दिखा दिये और अनुमोदन ले लिया इन भ्रष्टाचारियो कि हिम्मत इतनी बढ गयी है कि इन्होने मुख्य अभियन्ता स्तर(1) के अभियार्थीयो की जगह अब अधीक्षण अभियन्ताओ को इस पद के लिए काबिल घोषित कर दिया है और अब तो अधीक्षण अभियन्ता भी निदेशको के पद के लिए आवेदन कर सकते है वैसे अनुभव हीन बडका बाबूओ को क्या पता कि क्या नियम कानून होना चाहिए । क्यो कि वो खुद भी गलत तरीके से नियुक्त हुए है और मजे की बात उनको इस बाबत कोई ज्ञान नही *जब कि वर्तमान समय के अपर मुख्य सचिव गृह ने चयन प्रक्रिया के माध्यम से चयनित हो कर पश्चिमाचल विद्युत वितरण निगम का कार्यभार सभाला था । परन्तु वर्तमान समय मे जो यह उच्च स्तरीय कमेटी के द्वारा चयनित प्रत्याशियो के चयन को और पूरी चयन प्रक्रिया निरस्त करना इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि इस प्रक्रिया मे उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार व्याप्त है जो चयन प्रक्रिया साल मे दो बार करने का प्रावधान है उसे साल मे एक बार क्यो किया जाता है?

आखिर क्यो अध्यक्ष और प्रबंध निदेशको के पद के लिए विज्ञापन नही निकलते ? 

आखिर किसने निदेशको के नये पदो का सृजन किया ? 

 किसने अभियार्थीयो की योज्ञता घटा कर उसे अधीक्षण अभियन्ता स्तर का कर दिया है ?  

आखिर किसने पिछडा वर्ग आरक्षण व सामूहीकरण खत्म करने का काम किया ? 

 पाठको को बता देना अत्यावश्यक है कि साल मे दो बार निदेशको की नियुक्ति का प्रावधान इस लिए रखा गया कि जो अभियन्ता जनवरी से जून के मध्य सेवानिवृत्त हो और जो अभियन्ता जुलाई से दिसम्बर के बीच सेवानिवृत्त हो उनको इस माध्यम से चयन प्रक्रिया मे शामिल हो कर अपने अनुभव का कार्पोरेशन को लाभ देने का अवसर मिले ।

 इस सब बातो से प्रमाणित होता है भ्रष्टाचारी किस तरह से इस कार्पोरेशन मे मनबढ हो चुके है और किस कदर अपना चांदी के जूते के जोर पर यह साम्राज्य चला रहे है व किस तरह से चयन प्रकिया को ही नही वरन अन्य जगहो पर भी मे मनमाने ढग से भ्रष्टाचार फैला रहे है क्यो कि जिनको इन भ्रष्टाचारियो को रोकने की शक्ति है वो खुद ही अवैध रूप से नियुक्त व अनुभवहीन है और उनको अपनी शक्तियो का ज्ञान ही नही है ।

यह सब प्रमाण है कि किस तरह से इस सोने के परो वाली उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन नामक इस चिडिया परो को नोच कर भ्रष्टाचारियो ने अपनी जेबे भरी है । खैर

 

युद्ध अभी शेष है

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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