पूर्वांचल

हाय हाय पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम मे तैनात बडका बाबू और उनके चिपकू के खेल

वाराणसी 31 मई:

एक तरफ पूरा प्रदेश कोरोना जैसी महामारी से लड रहा है तो दूसरी तरफ पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम मे अवैध रूप से तैनात बडका बाबू और उनके भ्रष्टाचारी सहयोगी पूरे पुल फार्म मे भ्रष्टाचार के मैदान मे बैटिग कर रहे है कहते है ना कि भ्रष्टाचार , इश्क , मुश्क अपने कही ना कही अपनी खुशबू या निशान छोड ही देते है जहा पर भी भ्रष्टाचारी चिपकू और उसके सरपरस्त अपनी पूरी ताकत से पूर्वाचल डिस्कॉम को लूटने मे लगे हुए है ऐसा ही एक प्रमाणित घोटाला आज हम अपने पाठको के समक्ष रखने जा रहे है और आपनी बात को इस खबर मे हुए घोटले को प्रमाणित भी करेगे कि *किस तरह से पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम मे सरकारी धन के लूट का खेल हो रहा है ।
सबसे पहले एक कुछ समान आपूर्त के लिए *एक निविदा निकलता है मटीरियल मैनेजमेंट / सामग्री प्रबन्धन जहा पर गुजरात की दो कम्पनिया आपूर्ति की नियमो और शर्तो को पूरा करते हुए चयनित होती है और फिर गुणवत्ता जांच की कार्यवही होती है बडी ही परिदर्शिता से सारा काम हो कर एक उच्च गुणवत्ता की जाच रिपोर्ट विभाग को सौप दी जाती है लेकिन यह सब देखने मे जितना साफ सुथरा लग रहा है उतना ही भ्रष्टाचार से भरा हुआ है चिपकूषऔर उसके आका के ऊपर माता लक्ष्मी की कृपा से खूब चलता है चादी का जूता । तो अन्दर खाने मे होता यह है कि गुजरात की दो कम्पनिया पूर्वाचल डिस्कॉम मे अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबू के प्रिय चिपकू के सम्पर्क मे आती है एक तथाकथित दलाला के माध्यम से सम्पर्क साधती है और अपना समान डिस्कॉम मे बिकवाने के लिए कहती है *चिपकू जनाब तो अघोषित रूप से प्रबन्ध निदेशक की हैसियत रखते है तो उन कम्पनियो से चुप चाप सौदा तय हो जाता है जिसकी जानकारी *चिपकू द्वारा सहमती और खेल को आगे बढाने के लिए बडका बाबू को दी जाती है इस पूरे खेल मे किस किस की क्या क्या जिम्मेदारी होती है और किसके *मुह पर कितना भारी चादी का जूता मारा जाऐगा उस सब की जिम्मेदारी भी चिपकू के ऊपर बडका बाबू द्वारा छोड दी जाती है निविदा निकलने से पहले ही *चिपकू को इस काम को तय करवाने की ऐवज मे बन्द कमरे मे कम्पनी के लोगो द्वारा चादी के जूतो से जम कर पीटा जाता है तत्पश्चात निविदा उन कम्पनियो के इशारे पर बनवा कर डाली जाती है यानि पूरा मैच फिक्स निविदा निकलने औपचारिकता पूरी कर दी जाती है आखिर फाईल का पेट तो कागज से ही भरना पडेगा अब फिर बडका बाबू के प्रिय चादी के जूते खाने के शौकीन चिपकू एक बार फिर से कमान सभालते है गुणवत्ता जांच के लिए एक मृदुभाषी अधिशाषी अभियन्ता ढूढ कर उसको को यह जिम्मेदारी सौंप दी जाती है और वह अभियन्ता भी सब कुछ जानते हुए इस गुणवत्ता की जांच की आड मे कुछ समय अपने घर आराम करने चला जाता है जिसका प्रमाण उसके सियूजी नम्बर की लोकेशन की जांच करने से प्रमाणित हो जाएगा । इधर बडका बाबू के प्रिय अधिशाषी अभियन्ता *चिपकू बडका बाबू जी की शह पर निदेशक मुख्य अभियन्ता अधीक्षण अभियन्ता आदि को दर किनार करत हुए अपने एक खास कम्प्यूटर आपरेटर द्वारा मुख्यालय मे ही सारी जांच रिपोर्ट तैयार करते है वैसे पाठको को बता यह जरूरी है चिपकू कितने करीबी है बडका बाबू के !
कि जनाब बिना छुट्टी के लगभग डेढ़ महीना गायब रहते है और जब वापसी की बात होती है तो उनको लेने के लिए बडका बाबू अपनी खुद की गाडी भेजते है । आरोपो की प्रमाणिकता टोल टैक्स से गुजरने पर कटी रसीद वैसे तो फास्ट ट्रैक से पैसे दिये जाते है वह प्रमाण और ड्राइव के मोबाइल की लोकेशन व चिपकू के मोबाइल की लोकेशन से प्रमाणित हो जाएगा अगर जाते समय की लोकेशन और वापसी की लोकेशन को अगर चेक किया जाऐ तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा । *फिलहाल जांच के लिए गया वो अभियन्ता वापस आ कर उन फर्जी जांच रिपोर्ट पर जो कि डिस्कॉम मे ही निर्मित होती है आ कर आपनी मोहर लगा कर प्रमाणित करता है और फर्जी बिल बीजक डिस्कॉम मे जमा कर अपना हिस्सा उठा कर किनारे होता है वो अभियन्ता इनका लोगो का कितना खास है उसकी बानगी देखे है तो कुछ समय पीछे जाना पडेगा उस अभियन्ता का पूर्व मे स्थानांतरण मिर्जापुर हो जाता है लेकिन अभी तक उसने वहा कार्यभार ग्रहण नही किया क्यो कि उसको कार्य मुक्त नही किया गया उल्टा उसको अन्य जांचे करने की जिम्मेदारी दे दी जाती है यानि कि *बडका बाबू की शह पर चिपकू की भ्रष्टाचारी दुकान से लूट का खेल बदस्तूर जारी था और जब तक बडका बाबू रहेगे यह लूट का खेल ब दस्तूर बिना रुके चलता रहेगा। खैर

युद्ध अभी शेष है

अविजित आनन्द संपादक और चन्द्र शेखर सिंह प्रबन्ध संपादक समय का उपभोक्ता साप्ताहिक समाचार पत्र लखनऊ

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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