एक झलक

अतीक अहमद के बाद अब यूपी के दूसरे माफिया की बारी,15 दिन बाद मुख्तार अंसारी पर भी हो सकता है सजा का एलान

कृष्णानंद राय हत्याकांड में है आरोपी

20अप्रैल 2023
उत्तर प्रदेश जो कभी गुंडाराज के लिए जाना जाता था उसे अपराध मुक्त करने का बीड़ा उठा चुके हैं राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के आदेश के बाद राज्य से छोटे-मोटे गुंडे-मवाली समेत राज्य के बड़े माफियाओं पर भी लगातार शिकंजा कसा जा रहा है। एक तरफ सालों तक यूपी में माफिया राज चला चुके अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी के गैंग को कमजोर किया जा रहा है तो दूसरी तरफ अदालत भी इनके गुनाहों के लिए सजा मुकर्रर कर रही है। अतीक अहमद को उमेश पाल हत्याकांड मामले में उम्र कैद के बाद साबरमती जेल भेज दिया गया है, तो वहीं अगली बारी हो सकती है मुख्तार अंसारी की।

उत्तर प्रदेश के डॉन कब तक खैर मनाएंगे!

अतीक अहमद जिस तरह राजू पाल की हत्या करवाई थी उसी तरह मुख्तार अंसारी पर भी कृष्णणानंद राय की हत्या के आरोप हैं। मुख्तार अंसारी पिछले 13 साल से जेल में ही है और उन पर एक दो नहीं 40 से ज्यादा मामले दर्ज हैं, लेकिन जिस गुनाह की बात हम कर रहे हैं वो जल्द ही माफिया मुख्तार अंसारी के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है। कृष्णानंद राय हत्या मामले में साल 2012 में गाजीपुर की एमपी एमएलए कोर्ट में गैंगस्टर एक्ट के तहत शुरू हुए ट्रायल पर आज सुनवाई पूरी हो चुकी है। इस केस में मुख्तार अंसारी, भाई अफजल अंसारी आरोपी हैं। 15 अप्रैल यानी ठीक 15 दिन बाद इसपर अदालत अपना फैसला सुनाएगी।

कृष्णानंदराय हत्याकांड पर क्या होगी मुख्तार अंसारी को सजा?

कृष्णानंदराय हत्याकांड भी बिल्कुल राजू पाल हत्याकांड की तरह ही चुनावी रंजिश और गुंडागर्दी का नतीजा है। बस फर्क इतना है कि राजू पाल को अतीक अहमद ने मरवाया जबकि कृष्णनानंद की हत्या के आरोप मुख्तार अंसारी पर हैं। पहले जान लीजिए कौन थे कृष्णानंद राय। ये कहानी शुरू होती है यूपी के 2002 विधानसभा चुनाव से। कृष्णानंद राय मोहम्मदाबाद सीट के लिए बीजेपी के विधायक थे। इस सीट पर मुख्तार अंसारी का भाई अफजाल अंसारी भी लड़ रहा था। इस सीट पर सालों से मुख्तार अंसारी के परिवार का कब्जा रहा था, लेकिन उस विधानसभा चुनाव में बीजेपी विधायक कृष्णानंदराय ने अफजाल अंसारी को मात दी थी।

2005 बीजेपी विधायक कृष्णानंदराय समेत 7 की हुई थी हत्या

भाई की हार मुख्तार अंसारी को बर्दाश्त नहीं हुई। जनता ने जो फैसला दिया वो यूपी के इस माफिया को पसंद नहीं आया। साल 2005 की बात है। 29 नवबंर के दिन कृष्णानंद राय अपने काफिले के साथ गाजीपुर से लौट रहे थे। वहां उन्होंने एक लोकल क्रिकेट टूर्नमेंट का उद्घाटन किया था। वापस लौटते हुए उनका काफिला बसनिया चट्टी के पास पहुंचा जहां हमलावर पहले से घात लगाए बैठे थे। बीजेपी विधायक के काफिले पर एके 47 से 500 राउंड फायरिंग हुई। कृष्णानंद और उनके साथ चल रहे 7 लोगों को गोलियों से भून डाला गया।

मुख्तार अंसारी पर पर जेल से हत्या करवाने के हैं आरोप इस हत्याकांड से उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरा देश दहल गया था। उस वक्त मुख्तार अंसारी जेल में बंद था। दरअसल कुछ दिन पहले ही मुख्तार पर मऊ में हिंसा भड़काने के आरोप लगे थे और फिर मुख्तार ने खुद सरेंडर कर दिया था। इसके बाद मुख्तार को जेल भेजा गया था। कहते हैं ये पूरा मुख्तार अंसारी की प्लानिंग का एक हिस्सा था। जेल में बैठकर मुख्तार अंसारी ने लिखी थी कृष्णानंदराय की हत्या की स्क्रिप्ट। मुख्तार अंसारी के कहने पर ही उसके शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी और अतीक उर रहमान ने कृष्णानंद की हत्या करवाई थी। इसी मामले में अब 15 दिन बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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