अयोग्य सरकारी वकीलों को चिन्हित करने के लिए स्क्रीनिंग शुरू, लगातार मिल रही थीं शिकायतें
लखनऊ13अप्रैल:मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभागों के बंटवारे के दौरान कई महत्वपूर्ण विभागों को अपने पास रखा। जिससे वह उन विभागों पर नजर रखने के साथ ही वहां कुछ सुधार कर सकें। कुर्सी संभालने के बाद से ही सीएम योगी इस कार्य में जुट गए है।न्याय विभाग के मंत्री के तौर पर वह सक्रिय हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अयोग्य सरकारी वकीलों के चिन्हित करने के लिए स्क्रीनिंग शुरु की गई है। आमतौर पर कानूनी पेचीदगियों से भरी मोटी फाइलों में उलझे रहने वाले प्रमुख सचिव न्याय एवं विधि परामर्शी प्रमोद कुमार श्रीवास्तव के सचिवालय स्थित कार्यालय कक्ष का नजारा मंगलवार शाम बदला हुआ था।वह इंटरव्यू ले रहे थे और उनके सामने एक-एक कर आ रहे थे हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सरकार की ओर से नियुक्त किये गए वादधारक। रिट कितने प्रकार की होती हैं? भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 और 226 क्या है? कानून के क्षेत्र में आपका कितना अनुभव है? आप किसके माध्यम से आए? उनकी ओर से लगाई गई ऐसे सवालों की झड़ी उन वादधारकों को असहज भी कर रही थी जिनकी स्क्रीनिंग वह त्वरित साक्षात्कार के जरिये कर रहे थे।