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उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन में कार्यरत संविदाकर्मियों पर गाज गिरनी शुरू

नोट लेख लम्बा है पाठक ध्यान से पढे

लखनऊ 1 दिसंबर : उ प्र पावर कार्पोरेशन के अनुभवहीन बड़केबाबुओ ने लगभग 20 वर्षो लगभग 78 करोड के धाटे को आज 96000 करोड के विशाल धाटे मे पहुचा दिया है आज यह कहना गलत नही होगा कि उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे अवैध रूप से तैनात यह बडका बाबूओ ने अपनी अनुभवहीन की वेदी पर उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन की बली चढा दी है ना तो इनको मेमोरेंडम आफ आर्टिकल के लिखे नियमो को समझना है ना ही इनको सर्वोच्च न्यायालय का ही डर है बस अपनी मनमर्जी चलेगी जब योगी बाबा की सरकार आयी थी उस वक्त उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के प्रबन्ध निदेशक की कमान ए पी मिश्रा जैसे अनुभवी अभियनाता के हाथो मे थी और अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन व प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय अग्रवाल थे ना तो कोई अपर मुख्य सचिव होता था ना कोई मंत्री शक्तिभवन विस्तार की 15 मंजिल मे बैठता था कुछ नियम कानूनो का पालन होता था परन्तु 2017 मे जैसे ही सरकार बदली वैसे ही पावर कार्पोरेशन का निजाम भी बदल गया जैसे जैसे दवा की गयी मर्ज बढता गया खैर राजनीती से हमे क्या लेना देना हम अपने मुख्य बिन्दु की चर्चा करते है कि सरकार बदलते ही अनुभवहीन बडका बाबूओ की एक जोडी ने पावर कार्पोरेशन की लगाम सभाली और तकनीक का सहयोग ले कर विभाग मे विडियो कॉन्फ्रेंसिंग की नीव डाली नये नये ऐप बनने लगे करोड़ो रूपये पानी की तरह बहाए गये नयी नयी तकनीक सामने आने लगी लेकिन उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के आई टी ( IT) सेल के अभियन्ताओ का इसमे कोई योग दान नही था उसमे तैनात अभियन्ता मख्खी मार रहे थे पडताल करने पर सामने आया कि सारी तकनीक बहार की कम्पनियो के द्वारा जल्दी जल्दी मे नियम कानून को हैंगर मे टाग कर सिगल टेण्डर द्वारा काम कराया गया जिसके प्रमाण इलाहाबाद उच्च न्यायालय मे दाखिल जनहित याचिका मे उपभोक्ता सरक्षण उत्थान समिती ने न्यायालय के समक्ष भी प्रस्तुत किए है इन सब के बाद भी आखिर ERP जैसा साफ्टवेयर बहार से खरीदा गया जितने रूपय मे यह साफ्टवेयर खरीदा गया उतने मे अमेरीका जा कर उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के 50 अभियन्ता कुछ अच्छा सीख कर आते और इससे अच्छे साफ्टवेयर बनाते साथ ही साथ अपने साथी अभियन्ताओ को भी अपने अनुभव दे कर भविष्य की राह आसान करते लेकिन बाडका बाबूजी तो बडा बाबू ही रहे तनाशाही का दूसरा हुक्म बिजली थाने खोलने का औचित्य हीन व अनुभवहीन आदेश तो कार्पोरेशन घाटे मे जायेगा कि नही लेकिन घाटे का ठीकरा वर्तमान के बडका बाबूओ ने अपने से पूर्व अवैध रूप से तैनात बडका बाबूओ के कारनामे का ठीकरा किसी ना किसी पर तो फोडना ही होगा था तो धोबी ना सही गधा ही सही यह कहावत यहाँ पूर्णतः सही बैठती है अभियन्ता नही तो *सविदा निविदा कर्मी ही सही वैसे चुनाव के मात्र कुछ समय पूर्व बडकाऊ दिखावे को नीद से जागते है और विभाग की माली हालत का रोना रोते हुए संविदाकर्मियों की कटैती 25% तक कर छटनी कर देने का गुपचुप आदेश कर देना शायद किसी के गले के नीचे नही उतर रहा है क्योंकि राजनैतिक जानकारों का कहना है कि ठीक चुनाव के वक्त संविदाकर्मियों से रोजगार छीनना उ प्र के चुनाव में सत्ताधारी दल के लिए एक बड़े घाटे का सौदा साबित होगा और जिसका खामियाजा बडका बाबूओ को नही बल्कि सरकार को चुनाव के दौरान भुगतना पड सकता है और जिसकी शुरुआत भी प्रधानमंत्री ,मुख्यमंत्री,उपमुख्य मंत्री के चुनावी क्षेत्र पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रयागराज जोन से हो चुकी है ।उपमुख्य मंत्री के कार्य क्षेत्र प्रयागराज के विद्युत वितरण खण्ड प्रथम से 24 संविदाकर्मियों की छुट्टी के रूप मे इसका श्रीगणेश हो चुका है सूत्र बताते हैं कि हर विद्युत वितरण कम्पनी में संविदाकर्मियों की छटनी के काम को अंजाम देने की तैयारियां चल रही है जबकि अनुभवहीन बड़केबाबुओ की गलत नीतियों के चलते घोटाले व गबन के साथ साथ अनेको खमिया UPPCL के घाटे की कहानी चीख चीख कर बया करती नजर आ रही है परन्तु प्रबन्धन इसका ठीकरा एक मात्र विभागीय संविदाकर्मियों को बेरोजगारी कर अपनी नाकामियां छुपाते की कोशिश करते नजर आ रहा है।

विभागीय बिजली थाने खोलने का निर्णय औचित्य विहीन

उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन द्वारा विभागीय बिजली थाना खोलने के निर्णय पर एक कहावत बिल्कुल सटीक बैठती नजर आ रही हैं कि घर में नही है दाने अम्मा चली भुनाने यह कहावत पूर्व प्रबन्ध के इस निर्णय पर बिल्कुल सही बैठती है जिस विभाग में थाने नही होने के बावजूद बड़े पैमाने पर विभागीय अधिकारियों / कर्मचारियो द्वारा बिजली चोरी पकड़ कर बड़े पैमाने पर शमनशुल्क एवं असेसमेंट वसूल किया जाता रहा उस विभाग में बिजली थाना खोल कर एक और खर्च बढाने व घाटा बढाने की एक और मिशाल कायम की गयी है जितनी थानो से वसूली नही होती उससे ज्यादा इन पुलिस कर्मियो को वेतन दे दिया जाता है । जनता को 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति कराने में जो संविदाकर्मी अपनी जान पर खेलकर राजस्व वसूली से लेकर आपूर्ति कराने में आज अपनी अहम भूमिका निभा रहा हो उसकी जगह विभाग पुलिस थाने में तैनात पुलिस कर्मी के वेतन से तुलना करें तो एक पुलिस के जवान के वेतन में लगभग चार संविदाकर्मी विभाग को अपनी सेवा देता और आज विभागीय प्रबन्धन उन्ही गरीब को बेरोजगारी के कुए में ढकेलने पर आमादा है इसी को अनुभवहीनता कहते है बडका बाबूजी निदेशको की भर्ती करो विभागीय अनुभवी अभियन्ताओ को बैठाओ उनके अनुभव का लाभ लो चाटुकार अनुभवहीन सलकारो के चुगल से निकलो । खैर

 

युद्ध अभी शेष है

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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