पूर्वांचल

काशी के मणिकर्णिका घाट महाश्मशान में खेली गई जलती चिताओ के भस्म से होली

वाराणसी4मार्च :मोक्ष नगरी काशी में मृत्यु भी उत्सव है जहां स्वयं देवाधिदेव महादेव महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर अपने गणों और भक्तों के साथ धधकती चिताओं के बीच चिता भस्म से होली खेलते हैं। जलती चिताओं के बीच महाश्मशान पर होली खेलने का अड़भंगी अंदाज काशी के अलावा दुनिया मे कही देखने को नहीं मिलेगा।
काशीपुराधिपति अपने भक्तों से अनोखी चिता भष्म की होली खेलते है जो महाश्मशान में जलने वाले चिता के राख से तैयार होती है। मान्यता है कि जब भगवान भोलेनाथ माता गौरा के साथ गौना लेकर पहली बार काशी आते हैं तो वह अपने अड़भंगी साथियों के साथ होली नहीं खेल पाते, जिसके बाद वह तुरंत ही शहर के महाश्मशान में बसने वाले भूत, पिशाच, नर किन्नर के साथ होली खेलने के लिए निकल जाते हैं। डीजे, ढोल, मजीरे और डमरुओं की थाप के बीच लोग जमकर झूमेंगे और हर-हर महादेव के उद्घोष से पूरा महाश्मशान गूंजता रहा।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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