पूर्वांचल

काशी में बाबा विश्वनाथ के दरबार में भगवान परशुराम का मनाया गया जन्मोत्सव

वाराणसी03मई:परंपराओं के शहर काशी बाबा विश्वनाथ की नगरी में अष्ट धातु से निर्मित प्राचीन परशुराम भगवान की मूर्ति को लेकर काशी विश्वनाथ धाम में विधिवत पूजन पाठ के साथ परशुराम जी का जन्मोत्सव सकुशल संपन्न हुआ.महादेव परशुराम जी के गुरु रहे हैं जिन की कृपा से भगवान परशुराम ने शस्त्र और शास्त्र की विद्या प्राप्त की थी.परशुराम पूजन की यह परंपरा काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी जी के यहां काफी समय से पारंपरिक रूप से हो रही थी विगत कुछ वर्षों से कोरोना के कारण यह परंपरा बाधित हुई थी जोकि इस वर्ष पुनः प्रारंभ हुई.आज भक्तों के हुजूम के साथ परशुराम जी की प्रतिमा बाबा के गर्भगृह में पूजन के साथ परंपरा का निर्वहन महंत कुलपति तिवारी द्वारा किया गया.महर्षि भृगु के प्रपौत्र, वैदिक ॠषि ॠचीक के पौत्र, जमदग्नि के पुत्र, महाभारतकाल के वीर योद्धाओं भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण को अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा देने वाले गुरु,शस्त्र एवं शास्त्र के धनी ॠषि परशुराम का जीवन संघर्ष व साधना से सफलता प्राप्ति के सूत्र का अवगाहन करता है.भगवान परशुराम चारों युगों यानि सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग में लगतार बने हुए हैं.त्रेता युग में भगवान श्रीराम को धनुष भगवान परशुराम ने ही दिया था,जिस धनुष से भगवान राम ने राक्षसों का वध किया था.इसी तरह द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र भी भगवान परशुराम ने ही दिया था.इसी चक्र से कई राक्षसों का वध हुआ.

भगवान् परशुराम जी का अवतार सबसे प्रचंड और सबसे व्यापक रहा है.यह प्रचंडता तप और साधना में भी है और प्रत्यक्ष युद्ध में भी.उनकी व्यापकता संसार के हर कोने में रही और हर युग में रही.वे अक्षय हैं,अनंत हैं.प्रलय के बाद भी रहने वाले.गणपति से युद्ध में अपने अस्त्र का प्रयोग करके उनका एक दांत खंडित कर दिया था जिसके बाद गणेश जी का नाम एकदंत पड़ा.भगवान शिव ने उन्हें मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु अस्त्र प्रदा‍न किया जिससे वे परशुराम कहलाए.वे परम शिवभक्त थे.अश्वत्थामा,राजा बलि,महर्षि वेदव्यास, हनुमान,विभीषण,कृपाचार्य,भगवान परशुराम तथा ऋषि मार्कण्डेय अमर हैं.ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम वर्तमान समय में भी कहीं तपस्या में लीन हैं व समय पड़ने पर अपने भक्तों को दर्शन देते रहते है.

आज के इस परम् पुनीत अवसर पर काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ कुलपति तिवारी,हिमांशु राज़,अजय शर्मा,ऋषि झिंगरन,महेश उपाध्याय, उमाशंकर,मुन्ना पाठक,दिनेश शंकर,यश शर्मा,शौनक रामू पांडेय सहित कई गणमान्य व भक्तजन पूण्य के भागीदार बने..

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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