राजनीति

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की दो टूक, NPS की रकम लौटाने से किया इंकार

नई दिल्ली11नवम्बर :एक बार फिर पुरानी पेंशन योजना की मांग जोर पकड़ने लगी है. वैसे हर गैर-बीजेपी शासित राज्यों में विपक्ष ये मुद्दा उछाल रहा है. अब हिमाचल प्रदेश और गुजरात में इस मामले को तूल दिया जा रहा है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की थी. दरअसल, हर चुनाव में बीजेपी को अब पुरानी पेंशन स्कीम से मुकाबला होता है. वैसे कई राज्य अपने यहां ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के ऐलान कर चुके हैं. इनमें अधिकतर कांग्रेस शासित राज्य हैं. इस कतार में राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब हैं. अब हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी चुनाव से पहले कांग्रेस और AAP ने चुनाव जीतने पर मतदाताओं को लुभाने के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने का वादा किया है

निर्मला सीतारमण की दो टूक

इस बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा बयान आया है. वित्त मंत्री ने कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ की मांग को ठुकरा दिया है. दरअसल, सीतारमण ने मीड‍िया से बात करते हुए पुरानी पेंशन व्यवस्था से जुड़े सवालों के जवाब में कहा कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकारें केंद्र से पैसा लौटाने के लिए कह रही हैं, कानून के तहत ऐसा नहीं हो सकता.वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) में जमा पैसा इसमें योगदान करने वाले व्यक्तियों का है. कानून के तहत राज्य सरकारें इसे नहीं ले सकती हैं, क्योंकि इसपर उसका कोई हक नहीं है. बता दें, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पुरानी पेंशन व्यवस्था शुरू करने के लिए केंद्र से NPS के तहत जमा कर्मचारियों के पैसों को लौटाने की मांग की है. जबकि इन दोनों राज्यों का कहना है कि केंद्र कर्मचारियों का पैसा नहीं रख सकता है.

कांग्रेस शासित राज्य कर रहे हैं मांग

वित्त मंत्री के मुताबिक ‘कानून कहता है कि NPS के तहत केंद्रीय मद में जमा पैसा राज्यों को नहीं दिया जा सकता है. यह केवल उन कर्मचारियों के पास जाएगा, जो इसका योगदान कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि क्या हम कानून बदल सकते हैं? यह पैसा केवल लाभार्थी कर्मचारियों के पास जाएगा न कि किसी एक प्राधिकरण या इकाई के पास. बता दें, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र से NPS में जमा उनके राज्यों के कर्मचारियों के पैसे मांग रहे हैं. उनका तर्क है कि केंद्र कर्मचार‍ियों का पैसा नहीं लौटा रहा है. उन्होंने एक बयान में कहा है कि केंद्र ने NPS के अंतर्गत पंजीकृत राज्य सरकार के कर्मचारियों का 17,000 करोड़ रुपये लौटाने से इनकार कर दिया है. भूपेश बघेल का कहना है कि केंद्र लंबे समय तक पैसा नहीं रख सकता और राज्य सरकार ने इस बारे में कानूनी राय मांगी है और अदालत जा सकती है. यानी केंद्र और राज्य इस मामले पर आमने-सामने हो सकते हैं. बता दें, देश में 1 जनवरी 2004 से NPS यानी नई पेंशन स्कीम लागू है. दोनों पेंशन के कुछ फायदे और कुछ नुकसान भी हैं.

पहले पुरानी स्कीम की बात करते हैं…

1. पुरानी स्कीम के तहत रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है. क्योंकि पुरानी स्‍कीम में पेंशन का निर्धारण सरकारी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार होता है. 2. पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई पैसा कटने का प्रावधान नहीं है. 3. पुरानी पेंशन योजना में भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है.

4. पुरानी पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है.
5. रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है.
6. पुरानी पेंशन योजना में जनरल प्रोविडेंट फंड यानी GPF का प्रावधान है.
7. सबसे खास बात पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान है, यानी जब सरकार नया वेतन आयोग लागू करती है, तो भी इससे पेंशन में बढ़ोतरी होती है. लेकिन केंद्र सरकार के साथ-साथ विशेषज्ञों का भी कहना है कि पेंशन सिस्टम सरकार पर भारी बोझ डालती है. यही नहीं, पुरानी पेंशन स्कीम से सरकारी खजाने पर ज्यादा असर पड़ता है. अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि NPS से पुरानी पेंशन योजना में वापस लौटना राज्यों के लिए वित्तीय संकट पैदा कर सकता है.

नई पेंशन स्कीम (NPS) की खास बातें–

साल 2004 से लागू हुई नई पेंशन स्‍कीम (NPS) का निर्धारण कुल जमा राशि और निवेश पर आए रिटर्न के अनुसार होता है. इसमें कर्मचारी का योगदान उसकी बेसिक सैलरी और DA का 10 फीसदी कर्मचारियों को प्राप्त होता है. इतना ही योगदान राज्य सरकार भी देती है. 1 मई 2009 से एनपीएस स्कीम सभी के लिए लागू की गई. – पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी. NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है. पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, लेकिन नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है.

– पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय की सैलरी की करीब आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जबकि नई पेंशन योजना में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है. क्योंकि पुरानी पेंशन एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है. वहीं, नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें बाजार की चाल के अनुसार भुगतान किया जाता है. NPS पर रिटर्न अच्‍छा रहा तो प्रोविडेंट फंड और पेंशन की पुरानी स्कीम की तुलना में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय अच्छी धनराशि भी मिल सकती है. क्योंकि ये शेयर बाजार पर निर्भर रहता है. लेकिन कम रिटर्न की स्थिति में फंड कम भी हो सकता है.

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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