एक झलक

गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण ने प्रारम्भ किया था

26अक्टूबर

गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण ने प्रारम्भ किया था ये पर्वत ही नहीं सम्पूर्ण प्रकृति की श्रद्धापूजन हैभगवान श्री कृष्ण ने इंद्र का अभिमान चूर करने के लिये गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर संपूर्ण गोकुल वासियों की इंद्र के कोप से रक्षा की थी।
गोवर्धनलीला के संदर्भ में श्रीकृष्ण की मूलचिंता थी, झूठे परमेश्वर के नाम पर रचे जा रहे पाखंड से मुक्ति श्रीकृष्ण ने कहा कि वे मानव को अपने पर्यावरण का श्रद्धापूजन करना चाहिए यह भी बताया कि वर्षा का जल इंद्र से न आकर वृक्ष, पर्वतों की कृपा से उपलब्ध होता है इसलिए प्रकृति का संरक्षण करें।
प्रकृति की पूजा प्रकृति संरक्षण का द्योतक है क्योकि जीवात्मा को भोग पदार्थ देता है प्रकृति जड़ है ,और परमात्मा की उपासना हेतु एक मात्र साधन उपयोग के लिये उपासना चेतन की जाती है चेतन दो हैं एकजीवात्मा दूसरा परमात्मा दोनों का सम्बन्ध उपासक और उपास्य का है इंद्र जीवात्मा का द्योतक है और कृष्ण परमात्मा का जीवात्मा प्रकृति के फलों को खाता हैऔर परमात्मा भोगादि रहित होकर कर्मफल देता है I
इसलिए भोगादि रहित कर्मफल देने वाले, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, अनंत परब्रम्ह परमात्मा की उपासना करें और प्रकृति पदार्थों का त्यागपूर्ण उपभोग करें।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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