एक झलक

जटायु ने किया नारी का सम्मान और पाई श्रीराम की गोद की शय्या

06दिसंबर2021

जो नारी के साथ गलत होते देखकर भी आंखें मूंद लेते हैं उनकी गति भीष्म जैसी होती है। यह दृश्य कितना अलौकिक है रामायण में जटायु भगवान की गोद रूपी शय्या पर लेटे हैं। प्रभु श्रीराम रो रहे हैं और जटायु हँस रहे हैं

वहाँ महाभारत में भीष्म पितामह रो रहे हैं और भगवान श्रीकृष्ण हँस रहे हैं भिन्नता प्रतीत हो रही है कि नहीं ? अंत समय में जटायु को प्रभु श्रीराम की गोद की शय्या मिली,लेकिन भीष्म पितामह को मरते समय बाण की शय्या मिली। जटायु अपने कर्म के बल पर अंत समय में भगवान की गोद रूपी शय्या में प्राण त्याग रहे हैं और बाणों पर लेटे लेटे भीष्म पितामह रो रहे हैं।

ऐसा अंतर क्यों?

ऐसा अंतर इसलिए है कि भरे दरबार में भीष्म पितामह ने द्रौपदी की इज्जत को लुटते हुए देखा था। दुःशासन , दुर्योधन को ललकार कर विरोध कर देते तो द्रौपदी की रक्षा हो जाती लेकिन द्रौपदी रोती रही, बिलखती रही, चीखती रही, चिल्लाती रही, लेकिन भीष्म पितामह सिर झुकाये बैठे रहे नारी की रक्षा नहीं कर पाये।

उसका परिणाम यह निकला कि इच्छा मृत्यु का वरदान पाने पर भी बाणों की शय्या मिली और जटायु ने नारी का सम्मान किया, अपने प्राणों की आहुति दे दी तो मरते समय भगवान श्रीराम की गोद की शय्या मिली। जो दूसरों के साथ अनाचार होते देखकर भी आंखें मूंद लेते हैं उनकी गति भीष्म जैसी होती है जो अपना परिणाम जानते हुए भी औरों के लिये संघर्ष करते हैं, उसका माहात्म्य जटायु जैसा कीर्तिवान होता है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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