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जेवर एयरपोर्ट बदल देगा यूपी का परिदृश्य

लखनऊ25नवंबर: आखिर 25 सालों का लंबा इंतजार खत्म हुआ। अब चंद घंटों बाद 25 नवंबर 2021 को बहुप्रतीक्षित नोएडा इंटरनेशनल ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट (जेवर एयरपोर्ट) की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रखेंगे। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट का निर्माण कराने वाले राज्य का गौरव हासिल कर लेगा। यह हवाई अड्डा भविष्य में यूपी का परिदृश्य बदल देगा। साथ ही भारत दुनिया के उन 4 बड़े देशों में शुमार होगा, जहां सबसे बड़े हवाई अड्डे है। यह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा उत्तरी भारत में लॉजिस्टिक्स का एक विशाल एवं वैश्विक हब बनेगा जो राज्य का आर्थिक कायाकल्प करने में अहम भूमिका निभाएगा।

इस एयरपोर्ट की परिकल्पना करीब 25 साल पहले यूपी की तत्कालीन भाजपा सरकार में की गई । तब इसके निर्माण के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने प्रस्ताव तैयार करा कर केन्द्र सरकार को भेजा गया था। मगर दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से जेवर एयरपोर्ट (तब का नाम) की दूरी काफी कम होने की वजह से केंद्र सरकार की सहमत नहीं मिल सकी। बाद में पत्रावली दिल्ली और लखनऊ के बीच ही झूलती रही। इस बीच राज्य में बनी अन्य दलों की सरकारों में इसी एयरपोर्ट के निर्माण को आगरा की तरफ स्फ्टि करने का भी विचार हुआ था। मगर तब राज्य और केंद्र में विपरीत विचारधारा की सरकारें होने से बात नहीं बनी। साल 2017 में यूपी में राजनीतिक परिदृश्य बदला। योगी आदित्यनाथ ने राज्य की बागडोर संभाली। केंद्र में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी। इसका फायदा उत्तर प्रदेश को मिला। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर जेवर में एयरपोर्ट बनाने के प्रस्ताव पर चर्चा शुरू की। बात बनी और केंद्र सरकार ने हवाई अड्डा निर्माण की अनुमति दे दी। एयरपोर्ट के निर्माण के लिए जमीन का अधिग्रहण शुरू हुआ। साथ ही हवाई अड्डा निर्माण के लिए जमीन का अधिग्रहण शुरू हुआ। इसके निर्माण के लिए पीपीपी मोड पर स्विट्जरलैंड की ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी को जिम्मेदारी दी गई है गई है।

इस अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के निर्माण के लिए 5100 हेक्टेयर भूमि आरक्षित की गई है फिलहाल इसमें से 1334 हेक्टेयर जमीन राज्य सरकार ने किसानों से आपसी सहमति के आधार पर अधिग्रहित की है भूमि अधिग्रहण से संबंधित क्षेत्र में 6 गांव के 3003 परिवार प्रभावित हुए, जिन्हें सरकार ने जेवर बांगर में भूखंड आवंटित किए हैं । इस क्षेत्र का विकास यमुना प्राधिकरण ने किया है । निर्माता कंपनी को जरूरी भूमि दी जा चुकी है। इस पर निर्माता कंपनी ने 120 किलोमीटर लंबी बाउंड्री बनाने का कार्य पहले शुरू कर दिया है। इसी एयरपोर्ट पर ₹29500 करोड़ की राशि खर्च होने का अनुमान है पहले चरण में 1334 हेक्टेयर भूमि पर बनने वाले एयरपोर्ट पर ₹10500 करोड खर्च होंगे। शुरुआती चरण में हवाई अड्डे पर दो हवाई पट्टी का निर्माण होगा जो बाद में छह हवाई पट्टी तक विकसित होगा निर्माण कार्य 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। पहले चरण का निर्माण हो जाने के बाद हवाई अड्डे की क्षमता वार्षिक रूप से 1.2 करोड़ यात्रियों की सेवा करने की हो जाएगी। बाद में साल 2040 -50 तक यहां यात्रियों की संख्या 7 करोड़ यात्री प्रति वर्ष होगी। भविष्य में इसका विस्तार 5100 हेक्टेयर तक विस्तारित होना प्रस्तावित है।

इस अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के बनने के बाद उत्तर प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य होगा जहां 5 अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे होंगे। कुशीनगर हवाई अड्डे का हाल ही में उद्घाटन हो चुका है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की शुरुआत के साथ ही अयोध्या में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण कर चल रहा है। लखनऊ और वाराणसी पहले अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में संचालित हो रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यह दूसरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा इससे इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दबाव को कम करने में मदद मिलेगी। भौगोलिक रूप से रणनीतिक स्थिति के कारण दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, बुलंदशहर, मेरठ, गाजियाबाद, फरीदाबाद सहित और पड़ोसी इलाकों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। यह क्षेत्र 35 से लेकर 130 किलोमीटर के दायरे में हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि इस एयरपोर्ट के बनने से करीब एक लाख लोगों को सरकारी नौकरी मिल सकेगी। इसके नजदीकी फिल्म सिटी का निर्माण भी होगा जिस पर करीब ₹1000 का निवेश होगा। एयरपोर्ट के नजदीकी 6 एकड क्षेत्रफल में हॉस्पिटल व ट्रामा सेंटर बनेगा। यहीं पर एटीएस का मुख्यालय बनेगा इसमें एटीएस का ऑफिस और आवासीय परिसर होगा। एटीएस का मुख्यालय बनने का बड़ा फायदा होगा । देश प्रदेश में कोई अनहोनी होगी तो यूपी एटीएस जल्द से जल्द मौके पर पहुंच सकेगी।

यह देश ही नहीं एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। निर्माणाधीन नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा उत्तरी भारत के लिए लॉजिस्टिक्स का द्वार बनेगा। अपने विस्तृत पैमाने और क्षमता के कारण हवाई अड्डा उत्तर प्रदेश के परिदृश्य को बदल देगा। यह दुनिया के सामने उत्तर प्रदेश की क्षमता को उजागर करेगा और राज्य को वैश्विक लॉजिस्टिक मानचित्र में स्थापित करने में मदद करेगा। पहली बार भारत में किसी ऐसे हवाई अड्डे की परिकल्पना की गई है, जहां एकीकृत मल्टीमॉडल कार्गो केंद्र हो तथा जहां सारा ध्यान लॉजिस्टिक संबंधी खर्चों और समय में कमी लाने पर हो। यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के एक अधिकारी कहते हैं, यह एयरपोर्ट नोएडा के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। एयरपोर्ट निर्माण को देखते हुए आसपास के क्षेत्र में औद्योगिक विकास के लिए उद्योगपतियों से जमीन की मांग बढ़ी है। इस क्षेत्र में बीते 3 सालों के में ₹18000 करोड़ का निवेश हुआ है । इनके जरिए करीब 2 लाख लोगों को रोजगार के अवसर बने हैं। एयरपोर्ट के मद्देनजर प्राधिकरण ग्रेटर नोएडा से लेकर आगरा तक के क्षेत्र में लगातार भूमि का अधिग्रहण कर रहा है ताकि यहां भविष्य में उद्योग स्थापित हो सकें।

पहली बार भारत में एकीकृत मल्टीमॉडल कार्गो केंद्र के रूप में किसी हवाई अड्डे की परिकल्पना की गई है। इसके मद्देनजर ही नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कार्गो टर्मिनल की क्षमता 20 लाख टन होगी। इसे भविष्य मे साल 2040- 50 तक बढ़ाकर 80 लाख टन किया जाएगा। औद्योगिक उत्पादों के निर्माण आवागमन की सुविधा के जरिए यह हवाई अड्डा क्षेत्र में भारी निवेश को आकर्षित करने औद्योगिक विकास की गति बढ़ाने और स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएगा । इससे नए उद्यमों को आलीशान के अवसर मिलेंगे तथा रोजगार के मौके भी पैदा होंगे। इस हवाई अड्डे में ग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन सेंटर विकसित किया जाएगा जिसमें मल्टीमॉडल ट्रांजैक्शंस मेट्रो और हाई स्पीड रेलवे के स्टेशन होंगे। टैक्सी, बस सेवा और निजी वाहन पार्किंग सुविधा मौजूद होगी। इस तरह हवाई अड्डा सड़क, रेल और मेट्रो से सीधे जुड़ने में सक्षम हो जाएगा। नोएडा और दिल्ली को निर्बाध मेट्रो सेवा के जरिए जोड़ा जाएगा। आसपास के सभी प्रमुख मार्ग और राजमार्ग जैसे यमुना एक्सप्रेसवे वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे तथा अन्य हवाई अड्डों से जोड़े जाएंगे हवाई अड्डे को प्रस्तावित दिल्ली वाराणसी हाई स्पीड रेल से भी जोड़ने की योजना है। हवाई अड्डे को प्रस्तावित दिल्ली वाराणसी हाई स्पीड रेल से भी जोड़ने की योजना है। इससे दिल्ली और हवाई अड्डे के बीच का सफर मात्र 21 मिनट का हो जाएगा।

भारत का यह पहला ऐसा हवाई अड्डा होगा जहां कार्बन उत्सर्जन शुद्ध रूप से शून्य होगा। हवाई अड्डे ने एक ऐसा समर्पित भूखंड चिन्हित किया है जहां परियोजना स्थल से हटाए जाने वाले वृक्षों को लगाया जाएगा। इस तरह उसे ‘जंगलमय पार्क’ का रूप दिया जाएगा । वहां के सभी मूल जीव जंतुओं को संरक्षित किया जाएगा । साथ ही हवाई अड्डे के विकास के दौरान प्रकृति का पूरा ध्यान रखा जाएगा। हवाई अड्डे में उत्कृष्ट एमआरओ (मेंटेनेंस रिपेयर और ओवरहालिंग) सेवा भी होगी। हवाई अड्डे की डिजाइन में परिचालन में खर्च कम हो और तेजी से यात्रियों का आवागमन हो सके इसका भी ध्यान रखा गया है। हवाई अड्डे में टर्मिनल के नजदीक हवाई जहाजों को खड़ा करने की सुविधा होगी ताकि उसी स्थान से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के परिचालन मे वायुसेवाओं को आसानी हो। इसका सीधा लाभ यात्रियों को मिल सकेगा।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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