एक झलक

दस दिवसीय श्रीराममंत्र महायज्ञ का हुआ शुभारंभ,गाजे-बाजे व हाथी-घोड़े संग निकाली गई शोभायात्रा

अयोध्या07अक्टूबर: रामनगरी के श्रीरामहर्षण मैथिल सख्यपीठ धर्मार्थ सेवा ट्रस्ट चारूशिला मंदिर, जानकीघाट में 108 कुंडीय दस दिवसीय श्रीराममंत्र महायज्ञ का शुभारंभ हुआ। इसी क्रम में बुधवार को मंदिर प्रांगण से गाजे-बाजे व हाथी-घोड़े संग विशाल शोभायात्रा निकाली गई। जो अयोध्यानगरी के मुख्य मार्गों से होते हुए पावन सरयू तट पहुंची। जहां सभी कलशों में पवित्र सरयू जल भरकर यात्रा पुनः अपने गंतव्य को वापस लौटी। कार्यक्रम स्थल श्रीरामवल्लभाकुंज परिसर में बने यज्ञ मंडप में सभी 11 सौ कलशों को वैदिक मंत्रोच्चार संग स्थापित किया गया।यह शोभायात्रा पूरी रामनगरी में कौतूहल का विषय बनी रही, जिसमें पीत वस्त्र धारी 11 सौ महिलाएं अपने-अपने सिरों पर कलश और 5 सौ 1 श्रद्धालुगण सिर पर श्रीमद् भागवत महापुराण रखे हुए थे। साथ ही 15 रथों पर भगवान के विग्रह रथारूढ़ रहे। पूरी अयोध्यानगरी सिया बोल की गूंज से गुंजायमान रही। शोभायात्रा में शामिल साधु-संत व हजारों भक्तगण भक्तिभाव में सराबोर दिखे। इस अद्भुत एवं मनोरम दृश्य से अयोध्याधाम में अनुपम छटा निखर रही थी। पूरा वातावरण हर्ष और उल्लास के रंग में रंगा हुआ था।शोभायात्रा में श्रीरामवल्लभाकुंज अधिकारी राजकुमार दास, जगद्गुरू स्वामी रामदिनेशाचार्य, महंत जन्मेजय शरण, महंत अवधेश दास, महंत जनार्दन दास, महंत रामजी शरण, स्वामी छविराम दास, नागा रामलखन दास समेत हजारों की संख्या में भक्तगण शामिल रहे। इस मौके पर कार्यक्रम आयोजक व श्रीमहर्षण मैथिल सख्यपीठ चारूशिला मंदिर के श्रीमज्जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी वल्लभाचार्य ने कहा कि यह कार्यक्रम अनंत विभूषित पंचरसाचार्य स्वामी श्रीमद् रामहर्षण देव महाराज द्वारा संपन्न श्रीमंत्रराज अनुष्ठान के रजत जयंती महामहोत्सव पर आयोजित है, जिसका शुभारंभ विशाल शोभायात्रा के साथ हो चुका है। जो 14 अक्टूबर तक अपने चर्मोत्कर्ष पर रहेगा।महोत्सव में देश के विभिन्न प्रांतों से विशिष्ट जगद्गुरू, शंकराचार्यों, महामंडलेश्वरों, दिव्य संतों का शुभागमन हो रहा है। जिनके दर्शन व दिव्यवाणी का संलाभ हम सब प्राप्त करेंगे। उन्होंने कहा कि श्रीराममंत्र महायज्ञ का कार्यक्रम अपने आपमें अद्वितीय है। यह अद्भुत यज्ञ हो रहा है। संतों का कहना है कि ऐसा महायज्ञ अभी तक अयोध्या में नही हुआ है। जो पहली बार हो रहा है। इसमें 11 मंजिल की यज्ञशाला और 108 कुंडों का यज्ञ मंडप बना हुआ है। 501 विद्वानों द्वारा श्रीमद् भागवत महापुराण का परायण किया जा रहा है। 501 जापक श्रीमंत्रराज का जाप कर रहे हैं। इस तरह कुल 13 करोड़ षड़ाक्षर श्रीराममंत्र का जप किया जायेगा। 540 यजमानों द्वारा 8 सौ कुंतल हवन सामग्री से महायज्ञ में 1 करोड़ 30 लाख आहुतियां डाली जायेंगी।वहीं 11, 12 व 13 अक्टूबर को विराट संत-सम्मेलन का कार्यक्रम है, जिसमें सम्पूर्ण भारत के महापुरूषों का आगमन हो रहा है। वृंदावन धाम के श्रीमद् जगद्गुरू द्वाराचार्य मलूकपीठाधीश्वर डॉ. राजेंद्रदेवाचार्य अपने मुखारविंद से श्रीरामकथा कह रहे हैं। रात्रि 8 बजे 11 बजे तक वृंदावन की प्रसिद्ध चैतन्य महाप्रभु लीला हो रही है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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