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देश में जाली नोटों का कारोबार: 3 साल में पकड़े गए 137 करोड़ के जाली नोट

नई दिल्ली16दिसम्बर :देश में जाली नोटों का कारोबार भी फलता-फूलता रहा है। हर साल पकड़े जा रहे करोड़ों रुपये के जाली नोट इस बात की तस्दीक करते हैं। जाली नोट न केवल आम लोगों के लिए परेशानी पैदा करते है, बल्कि सरकार और पुलिस के लिए भी इस पर रोक लगाना एक बड़ी चुनौती साबित होती है। आपको जानकर आश्चर्य हो सकता है कि पिछले 3 साल के भीतर पुलिस और सुरक्षा बलों ने 137 करोड़ रुपये मूल्य से ज्यादा के जाली नोट जब्त किए हैं। यही नहीं, पकड़े गए 2000 रुपये के नए नोटों का मूल्य भी करोड़ों में है।

जाली नोटों का ज्यादातर कारोबार या तस्करी सीमा पार यानी पाकिस्तान से किया जाता है। इन्हें बॉर्डर के जरिये या फिर अन्य रास्तों से भारत में भेजा जाता है। इसे रोकना केन्द्र सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। हालांकि बॉर्डर पर सीमा सुरक्षा बल और देश के अंदर पुलिस काफी हद तक जाली नोटों को पकड़ने में सफल भी हो रही है। मगर अभी भी इसको लेकर बहुत कुछ किया जाना बाकी है। बता दें कि केन्द्र सरकार ने नोटबंदी के दौरान दावे किए थे कि इससे जाली नोटों पर लगाम लगेगी। ऐसे में सरकार के आंकड़े खुद बताते हैं कि जाली नोटों के कारोबार पर बहुत ज्यादा अंकुश नहीं लगा है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले 3 सालों के जो आंकड़े सामने रखे हैं, उसके मुताबिक सीमावर्ती क्षेत्रों सहित देश में 2019 से 2021 के दौरान 137,96,17,270 करोड़ अंकित मूल्य के जाली नोट देश में पकड़े गए हैं। साल 2021 में 3,10,066 लाख जाली नोट जब्त किए गए हैं, जिनका मूल्य 20,39,27,660 करोड़ है। वहीं 2020 में 8,34,947 लाख जाली नोट पकड़े गए, जिनका मूल्य 92,17,80,480 करोड़ है। इसके अलावा 2019 में पकड़े गए जाली नोटों की संख्या 2,87,404 लाख थी और कुल मूल्य 25,39,09,130 करोड़ रहा।

गृह मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं, इन तीन सालों में 2000 और 500 के नोट बड़ी मात्रा में पकड़े गए। साल 2021 में 2000 के जो जाली नोट पकड़े गए हैं, उनका मूल्य 4,84,78,000 करोड़ है, जबकि 12,57,99,000 करोड़ रुपये मूल्य के 500 के नोट जब्त किए गए हैं। वहीं 2020 में 2000 रुपये के 2,44,834 लाख नोट और 2019 में 2000 के 90,566 हजार नोट पकड़े गए थे। इसके अलावा इन वर्षों में 500 के नोट भी देश के अलग अलग हिस्सों से लाखों की संख्या में जप्त किए गए हैं।

मंत्रालय का कहना है कि ये आंकड़े जाली भारतीय करेंसी नोटों (एफआईसीएन) के परिचालन के बारे में किसी विशेष पैटर्न को नहीं दर्शाते हैं। वहीं सरकार का कहना है कि जाली करेंसी के खतरे से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की आसूचना तथा सुरक्षा एजेंसियां देश में जाली करेंसी के परिचालन और तस्करी में संलिप्त तत्वों पर गहन नजर रखती हैं तथा रिपोर्ट किए गए कानून के किसी भी उल्लंघन पर कार्रवाई करती हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जाली नोटों का कारोबार रोकने के लिए कई कदम भी उठाए जा रहे हैं। सरकार के अनुसार देश में जाली करेंसी नोटों के परिचालन की समस्या से निपटने के लिए राज्य / केंद्र की सुरक्षा एजेंसियों के बीच खुफिया जानकारी / सूचना को साझा करने हेतु गृह मंत्रालय द्वारा जाली भारतीय करेंसी नोट समन्वय समूह (एफसीओआरडी) बनाया गया है।

वहीं आतंक के वित्तपोषण तथा जाली करेंसी के मामलों की संकेंद्रित जांच करने के लिए राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) में टेरर फंडिंग एंड फेक करेंसी सेल (टीएफएफसी) का गठन किया गया है। सरकार का कहना है कि नई निगरानी प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर चौबीसों घंटे निगरानी के लिए अतिरिक्त जनशक्ति तैनात करके, अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निगरानी चौकियां स्थापित कर सीमा पर बाड़ लगाकर और गहन गश्त लगाकर अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर सुरक्षा सु²ढ़ की गई है।

जाली करेंसी नोटों की तस्करी और परिचालन को रोकने और उससे निपटने के लिए भारत तथा बांग्लादेश के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। राज्यों तथा नेपाल और बांग्लादेश के पुलिस अधिकारियों हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, ताकि उन्हें भारतीय करेंसी की तस्करी और जालसाजी के बारे में जागरूक किया जा सके। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी जाली नोटों पर लगाम लगाने के लिए रणनीति तैयार की है। जानकारी के मुताबिक आरबीआई ने बैंक नोटों पर सुरक्षा मानकों को बढ़ाने सहित विभिन्न उपाय किए हैं, ताकि जालसाजी को मुश्किल तथा खचीर्ला बनाया जा सके। भारतीय रिजर्व बैंक आम जनता तथा नकदी को हैंडल करने वालों के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चला रहा है, ताकि जालसाजी का पता लगाने में आसानी हो सके।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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