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नरेंद्र गिरि की मौत के दिन बंद थे मठ के सारे कैमरे,हर कदम पर मिटाए गए सबूत

प्रयागराज27सितम्बर:अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों मे हुई मौत को लेकर चौंकाने वाली बाते सामने आ रही हैं।नरेंद्र गिरि की जिस दिन मौत हुई उस दिन मठ के सभी कैमरे काफी देर तक बंद थे हैं।कहा जा रहा है कि बिजली न होने के कारण ऐसा हुआ।नरेन्द्र गिरि ने जिस कमरे में फांसी लगा कर आत्महत्या की थी उस कमरे के बेड की चादरों पर सिलवटें तक नही मिली हैं।कमरे में सारा सामान अपनी जगह रखा था।फांसी लगाने जैसी घटना का कोई भी निशान वहां नही मिला हैं।

सीबीआई ने किया रिक्रिएट सीन

सीबीआई बाघंबरी मठ के महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत की पहेली को सुलझाने मे जुटी हुई है।सीबीआई ने रविवार को सीन रिक्रिएट कराया।सीबीआई के अधिकारियों ने दरवाजा खोलने वाले शिष्य सर्वेश, सुमित और धनंजय सहित अन्य सेवादारों से घटना वाले दिन हुए मामले का सीन रिक्रिएट कराया।कैसे दरवाजा खोला गया,अंदर पहले क्या देखा गया, कैंची कहां से लायी गई और फिर कैसे नरेंद्र गिरि के शव को नीचे उतारा गया। कमरे का पंखा कैसे चला इन सवालो का कोई शिष्य जवाब नहीं दे पाया।सीबीआई के साथ फारेंसिक टीम भी मौजूद रही।सीबीआई ने नरेंद्र गिरि के वजन का पुतला तैयार कराया है और उस पुतले को पंखे से लटकाया जाएगा और फिर उसको उसी तरीके से उतरवाकर देखा जाएगा।

सीबीआई ने शनिवार को केस अपने हाथों में लेने के बाद फोरेंसिक और पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर मंथन किया।नरेंद्र गिरि आत्महत्या केस में फोरेंसिक टीम और फील्ड यूनिट ने सबसे पहले सुबूत जुटाया था।सीबीआई के फोरेंसिक एक्सपर्ट ने पुलिस लाइन में नरेंद्र गिरि मामले में सुबूत इकट्ठा करने वाली फोरेंसिक टीम और फील्ड यूनिट के लोगों से बात की।सीबीआई को स्थानीय टीम ने सारे सुबूत सौंप दिए और साथ ही इस मामले से संबंधित अपनी जांच रिपोर्ट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट सौंपी। सीबीआई के अधिकारियों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के जितने भी प्वाइंट थे स्थानीय अधिकारियों के साथ रिपोर्ट पर गहन मंथन किया।

मठ की दीवारों के पीछे छिपे नरेंद्र गिरि की मौत के कई राज

बाघंबरी मठ के महंत नरेंद्र गिरि की मौत से जुड़े हुए कई राज बाघंबरी मठ की दीवारों के पीछे छिपा हैं।इस छिपे हुए राज को एक-एक कर खोलने की जरूरत है।कम लोगों को पता हैं कि साधु-संतों की देश की सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि को वाई श्रेणी की विशेष सुरक्षा मिली हुई थी।चौंकाने वाली बात ये है कि जिस दिन फंदे से नरेंद्र गिरि का लटकता हुआ शव पाए जाने की सनसनीखेज घटना सामने आई, उस दिन नरेंद्र गिरि के विशेष सुरक्षा दस्ते के 11 जवान वहां नही थे।जिस कमरे में नरेंद्र गिरि की फांसी लगाए जाने की बात कही जा रही है,उस कमरे की हालत घटना को लेकर गहरा संदेह पैदा कर रही हैं।नरेन्द्र गिरि की समाधि भी जिस गड्ढे में दी गई,उसमें शव के साथ दो दर्जन से ज्यादा नमक की बोरियां भी डाली गई हैं।अब ऐसे में नरेंद्र गिरि की मौत से जुड़े कई उलझे हुए सवालों को समय रहते हुए सीबीआई खोल पाती है या नही ये अब आगे आने वाले समय पर निर्भर है।

खड़े हो रहे हैं नरेंद्र गिरि के सुरक्षा को लेकर सवाल

सोमवार को आखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र की मौत बाघंबरी मठ में कैसे और किन हालतों में हुई इसका सच देश के सभी लोग जानना चाहते है।इस घटना के पीछे रावण की तरह बड़ा सवाल नरेंद्र गिरि की सुरक्षा को लेकर खड़ा हो रहा है।नरेंद्र गिरि को वाई श्रेणी की विशेष सुरक्षा मिली थी। पुलिस अफसरों के अनुसार नरेंद्र गिरि को मिली वाई श्रेणी की सुरक्षा में पीएसओ, हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल को मिलाकर कुल 11 जवान तैनात थे। नरेन्द्र गिरि की सुरक्षा के लिए इन जवानों की आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई थी और साथ में पुलिस स्कॉर्ट भी नरेंद्र गिरि के साथ चलती थी। नियम के मुताबिक ऐसी शख्सियत के साथ आराम करने अथवा सोने के बाद भी कमरे के बाहर एक सुरक्षा गार्ड की तैनात रहना चाहिए।लेकिन जिस समय नरेंद्र गिरि के मौत की बात कही जा रही है,उस समय वहां कोई गार्ड तैनात नहीं था।

बंद मिला था फोन

नरेंद्र गिरि को जब कोई सेवादार चाय देने के लिए कई बार दरवाजा खोलवाने प्रयास किया और फोन करने पर नरेंद्र गिरि का मोबाइल नहीं उठा तो दरवाजा तोड़कर मठ के शिष्य अंदर घुसे।भूतल पर बने उस कमरे का दरवाजा तोड़कर भीतर घुसने वाले शिष्यों की बात में कितनी सच्चाई है, ये गहरी जांच का हिस्सा हो सकता है।गहरी जांच का हिस्सा इसलिए होना चाहिए जिस कमरे में नरेंद्र गिरि का शव पाया गया उस कमरे में बाथरूम का दरवाजा भीतर से लिंक होने के साथ ही बाहर भी खुलता है।खुफिया विभाग ने घटना के बाद कमरे के चोर दरवाजे की जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी थी। इतना ही नही जब नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर को समाधि दी गई तब नरेंद्र गिरि के शव के साथ नमक की बोरियां पहले डाली गई। इसके पीछे कुछ संतों ने शास्त्रोक्त पद्धति का हवाला दिया था हड्डियां भी गल जाएं और सबकुछ परमात्मा में विलीन हो जाए।नमक की बोरियां डालने से शव जल्द गलकर नष्ट हो सकता है।अब ऐसे में सीबीआई अगर साक्ष्य के तौर पर चोट के निशान या अन्य जख्मों, फंदे के चिह्नों को देखने के लिए समाधि से शव बाहर निकलवाना भी चाहेगी तो क्या और कितना हासिल हो सकेगा, कुछ कहना मुश्किल हैं।

सेवादारों और शिष्य से सीबीआई ने की घंटों पूछताछ

नरेंद्र गिरि के संदिग्ध मौत के मामले की जांच कर रही सीबीआई ने शनिवार को करीब 11 बजे अल्लापुर बाघंबरी मठ पहुंच कर सेवादारों और शिष्य बलवीर पुरी से घंटों पूछताछ की।सीबीआई ने दरवाजा तोड़कर नरेंद्र गिरि का शव फंदे से उतारने वाले सेवादारों से कई सवाल किए और चार सेवादारों के मोबाइल जब्त कर लिए हैं। सीबीआई ने जिले के आला अधिकारियों के साथ पुलिस लाइन में साढ़े तीन घंटे की मैराथन मीटिंग भी की।सीबीआई आईजी वीके चौधरी और मुख्य जांच अधिकारी केएस नेगी टीम के साथ शाम चार बजे मठ पहुंचे।टीम के साथ एसआईटी प्रभारी अजीत सिंह चौहान भी थे।सीबीआई सीधे उस कमरे के बाहर पहुंची जहां नरेंद्र गिरि का शव मिला था। पुलिस ने इस कमरे को सील कर रखा है। इसके बाद सीबीआई टीम सभी कमरों में गई। कमरों और आसपास के निरीक्षण के बाद सेवादार सर्वेश उर्फ बबलू, सुमित और धनंजय को बुलाया गया। सर्वेश और सुमित ने ही दरवाजा तोड़कर नरेंद्र गिरि के शव को नीचे उतारा था और धनंजय भी उनके साथ था। तीनों सेवादारों से घंटों पूछताछ की गई और इसके बाद तीनों के मोबाइल जब्त कर लिए गए।एक और सेवादार का मोबाइल जब्त हुआ है।सेवादारों से पूछताछ के बाद टीम ने नरेंद्र गिरि के शिष्य बलवीर पुरी से एक घंटे तक पूछताछ की और मठ की छत पर भी गई।बैरहाल सील कमरे को नहीं खोला गया था। सीबीआई टीम इसी कमरे में सीन रिक्रिएट करेगी। इससे पहले सीबीआई टीम ने पुलिस लाइन में एडीजी, आईजी, डीआईजी समेत सभी आला अधिकारियों के साथ मीटिंग की!!

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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