एक झलक

नवरात्रि के षष्ठी वाले दिन देवी कात्यायनी की आराधना, इन मंत्रों का करें जाप

7अप्रैल2022

नवरात्र यानी इन नौ दिन में जातक उपवास रखकर अपनी भौतिक, शारीरिक, आध्यात्मिक और तांत्रिक इच्छाओं को पूरा करने की कामना करता है। इन दिनों में ईश्वरीय शक्ति उपासक के साथ होती है और उसकी इच्छाओं को पूरा करने में सहायक होती है। शारदीय नवरात्र में घर में पूजन करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दौरान पूजा करने वाले साधकों को नियमों का कठोर पालन करना अनिवार्य है।

माँ दुर्गा का छठा रूप है माँ कात्यायनी- एक बार एक महान संत जिनका नाम कता था, जो अपने समय में बहुत प्रसिद्ध थे, उन्होंने देवी माँ की कृपा प्राप्त करने के लिए लंबे समय तक तपस्या करनी पढ़ी, उन्होंने एक देवी के रूप में एक बेटी की आशा व्यक्त की थी। उनकी इच्छा के अनुसार माँ ने उनकी इच्छा को पूरा किया और माँ कात्यानी का जन्म कता के पास हुआ। माँ दुर्गा के रूप में माँ दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है और नवरात्र के छठवें दिन इन्हीं माँ कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है। पुराणों के अनुसार कात्यायन ऋषि के यहां जन्म लेने के कारण माता के इस स्वरुप का नाम कात्यायनी पड़ा।

माँ कात्यायनी का यह स्वरूप अत्यंत चमकीला और भव्य है। इनकी चार भुजाएँ हैं। माँ कात्यायनी का दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। इनका वाहन सिंह है। माँ कात्यायनी शत्रुओं का नाश करनेवाली हैं इसलिए इनकी पूजा करने से शत्रु पराजित होते हैं और जीवन सुखमय बनता है। मान्यता यह भी है कि माँ कात्यायनी की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं का विवाह जल्द हो जाता है।

भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने कालिन्दी यानि यमुना के तट पर माँ कात्‍यायनी की ही आराधना की थी। अत: मां कात्यायनी ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी जानी जाती हैं। माता कात्यायनी की उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां साधक को स्वयंमेव प्राप्त हो जाती है। वह इस लोक में रहकर भी अलौलिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है तथा उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं। माँ कात्यायनी के पूजन में मधु का महत्व बताया गया है। इस दिन प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए, इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है।ऋषि कात्यायन की पुत्री मां कात्यायनी को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है, जो शांति का प्रतीक है। अत: इस दिन विशेष रूप से सफेद रंग का प्रयोग करना शुभ प्रभाव देता है। बुध ग्रह कि शांति तथा अर्थव्यस्था के उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए कात्यायनी देवी की पूजा करे।

इस मंत्र से करें माँ कात्यायनी की पूजा

चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।

कात्यायनी च शुभदा देवी दानववद्यातिनि।।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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