पूर्वांचल

पंडित बिरजू महाराज जी निधन पर सत्या फाउंडेशन द्वारा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

वाराणसी18जनवरी:नृत्य संगीत के बादशाह पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से सभी दु:खी और मर्माहत हैं. सत्या फाउंडेशन द्वारा उनके निधन पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन महमूरगंज, वाराणसी में किया गया. सभी ने उनकी आत्मा की शान्ति के लिए 2 मिनट का मौन रखा. इस मौके पर ‘सत्या फाउंडेशन’ के उपाध्यक्ष और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संगीत शास्त्र विभाग के पूर्व विजिटिंग प्रोफ़ेसर डा. आदिनाथ उपाध्याय ने कहा कि पंडित बिरजू महाराज जी केवल एक साधक या कलाकार नहीं, अपितु संगीत की एक संस्था थे. आपको गायन, वादन और नृत्य – तीनों में महारत हासिल थी और उनके निधन से संगीत जगत की अपूर्णीय क्षति हुई है. नहीं बने एवार्ड वापसी करने वाले समूह का हिस्सा: डा. आदिनाथ उपाध्याय ने कहा कि वे सच्चे राष्ट्रवादी थे और कला व संगीत को राजनीति से अलग रखते थे. शायद बहुत कम लोगों को याद होगा कि जब देश के कई कलाकार राजनीति की बयार में बह कर, एक के बाद एक, एवार्ड वापस कर रहे थे उस समय पंडित बिरजू महाराज जी ने साफ़ साफ़-कहा कि एवार्ड वापसी से किसी नेता या पार्टी विशेष का अपमान नहीं, अपितु भारत माँ का अपमान होगा और उन्होंने एवार्ड वापसी की राजनीति से खुद को दूर ही रखा.

शास्त्र तो मेरी आँखें हैं: डा. आदिनाथ उपाध्याय ने बताया कि 80 के दशक में जब वे अपनी गुरु डा. प्रेमलता शर्मा के साथ, ट्रेन द्वारा बनारस से कोलकाता जा रहे थे, तब उसी ट्रेन में पंडित बिरजू महाराज जी लखनऊ से बैठे थे. बनारस से कोलकाता की यात्रा के दौरान संगीत और संगीत शास्त्र के बीच के अंतरसंबंधों पर लम्बी वार्ता चलती रही और उसी दिन पता चला कि पंडित जी केवल प्रायोगिक संगीत ही नहीं बल्कि संगीत शास्त्र के भी उतने ही गहरे जानकार थे. पंडित बिरजू महाराज जी ने उस ट्रेन यात्रा के दौरान कहा कि शास्त्र तो मेरी आँखें हैं, इसके बिना संगीत की समझ और आनंद अधूरा ही रहेगा। लिहाजा सभी लोगों को संगीत शास्त्र को पढ़ना चाहिए, समझना चाहिए और उसको सम्मान देना चाहिए।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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