पाकिस्तान के रक्षा मंत्री बोले- मुल्क दिवालिया हुआ:ख्वाजा आसिफ ने कहा- IMF भी हमें नहीं बचा सकता
कराचीपा20फ़रवरी :पाकिस्तान एक तरफ दिवालिया होने से बचने के लिए इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) से लोन मांग रहा है। दूसरी ओर शनिवार को देश के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान पहले ही दिवालिया चुका है। हम सब एक डिफॉल्ट हो चुके देश में रह रहे हैं। पाकिस्तान की आर्थिक तंगी को लेकर रक्षा मंत्री ने यहां तक कह दिया कि अब IMF भी हमारी मदद नहीं कर सकता है। हमें खुद ही इसका समाधान ढूंढना होगा।
नौकरशाही और नेताओं को जिम्मेदार ठहराया
रक्षा मंत्री ने देश के आर्थिक हालातों को लेकर नेताओं और नौकरशाही को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के संविधान का पालन नहीं किया गया। आसिफ ने इमरान की सरकार पर देश में आतंकियों को पनाह देने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि करीब डेढ़ साल पहले आतंकियों को देश में बसाया गया, जबकि सरकार के आलोचकों को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।
पाकिस्तान में आर्थिक तंगी से बुरे हालात
पाकिस्तान में आर्थिक तंगी की वजह से कितने बुरे हालात हैं इसका अंदाजा वहां के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बयान से लगाया जा सकता है। उन्होंने देश के हालातों पर कमेंट करते हुए कहा था कि पाकिस्तान एक एटमी ताकत रखने वाला इस्लामी मुल्क है और अगर ऐसे में हमें हर बार और हर जगह जाकर भीख मांगना पड़े तो इससे ज्यादा शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता।
आटा खरीदने के चक्कर में 4 लोगों ने जान गंवाई थी
आर्थिक तंगी की वजह से पाकिस्तान के कई इलाकों में आटे की किल्लत हो गई है। सब्सिडी वाले आटे का स्टॉक खत्म हो गया है। इस वजह से सरकार देश के अलग-अलग हिस्सों में जनता को कम दामों पर आटे के पैकेट उपलब्ध करा रही है। पिछले महीने जनवरी में आटे की किल्लत इतनी ज्यादा हो गई थी कि सस्ता आटा खरीदने के चक्कर में 4 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। वहीं, पाकिस्तान में इस सप्ताह की महंगाई दर बढ़कर 38.4% हो गई है।
अब तक तीन बार दिवालिया हो चुका है पाकिस्तान
पाकिस्तान पहली बार साल 1971 में भारत के साथ हुए युद्ध और बांग्लादेश के बनने के समय दिवालिया हुआ था। हालांकि, उस समय पाकिस्तान का कर्ज अब के मुकाबले काफी कम था। लेकिन युद्ध की वजह से स्थिति काफी खराब हो गई थी।
1998 में परमाणु परीक्षण करने के बाद पाकिस्तान फिर से कंगाल हो गया था। उस समय इस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए गए थे। साथ ही विदेशी सहायता पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि, पाकिस्तान को साल भर में ही IMF से बेलआउट पैकेज हासिल हो गया था।
पाकिस्तान तीसरी बार 2002 में दिवालिया हुआ था। इस दौरान राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता के बीच वो अपने लेनदारों को कर्ज नहीं चुका पाया था।