एक झलक

पितृ दोष का लक्षण एवं उपाय

14सितम्बर 2022

भारतीय ज्योतिष के अनुसार सूर्य इस सौर मंडल का
राजा है और इससे पिता की स्थिति का अवलोकन किया
जाता है शनि सूर्य का पुत्र है परन्तु सूर्य का परम शत्रु है
शनि वायु विकार का कारक ग्रह है राहु का फल भी शनि
के समान ही है सूर्य आत्मा का कारक है इसलिए जब सूर्य जन्म पत्रिका में अशुभ हो तो यह दोष कारक होता है।
सूर्य जब शनि के प्रभाव में ( साथ बैठकर या दृष्टि में
रहकर ) होता है, तो ऐसा जातक निश्चय ही पितृ दोष से
पीड़ित होता है जब शनि के साथ राहु भी सूर्य को पीड़ित
करता है, तो जातक के पिता अन्य चांडाल प्रकृत्ति की
आत्माओं से भी पीड़ित हैं और यह दोष अधिक है।

पितृ दोष के प्रभाव
1. परिवार में प्रायः अनावश्यक तनाव रहता है।
2. बने-बनाये काम आखिरी समय पर बिगड़ जाते है।
3. अपेक्षित परिणाम अनावश्यक विलंब से मिलते है।
4. मांगलिक कार्य (विवाह योग्य संतानों के विवाह आदि)
मे, सभी परिस्थितियां अनुकूल होने पर भी विलंभ होता है।
5. भरपूर आमदनी के होते हुए भी बचत पक्ष कमजोर होता है।
6. पिता-पुत्र में अनावश्यक वैचारिक मतभेद होते है।
7. शरीर में अनावश्यक दर्द और भारीपन रहता है।
8. जातक व उसके परिवार का स्वयं के घर में मन नही
लगता।

पितृ दोषों को स्थूल रूप से छः योगों में वर्गीकृत किया
जा सकता है।
1. गौत्र दोष
2. कुलदेवी दोष
3. डाकिनी-शाकिनी दोष
4. प्रेत दोष
5. क्षेत्रपाल दोष
6. बैताल दोष

1. गौत्र दोष :
गौत्र दोष में एक ही गौत्र के व्यक्तियों की संख्या धीरे-धीरे
कम होने लगती है पुत्र-पुत्री अर्थात संतान का अभाव होने
लगता है वंश वृद्धि तथा संतानोत्पत्ति के सभी उपाय व्यर्थ सिद्ध होने लगते है एक जाति विशेष इस दोष से पीड़ित है।

2. कुलदेवता व कुलदेवी दोष
आधुनिकता की चकाचौंध में धार्मिक मान्यताओं एवं
आस्थाओं को अंधविश्वास करार देकर कुछ परिवारों में
परम्परागत रूप से चली आ रही देवी-देवताओं की पूजा बंद कर दी जाती है या उसमें कुछ कमी आ जाती है।
कभी-कभी घर के बुजुर्ग भी इन परम्पराओं से पूर्णतया
परिचित नहीं होते तथा पूजा अर्चना स्वयमेव बंद हो जाती
है इस अज्ञानता से उत्पन्न हुए दोर्षों को कुल देवी दोष
कहा जाता है।

3. डाकिनी-शाकिनी दोष
घर के पुरुष चारित्रिक रुप से भृष्ट होकर अन्य स्त्रियों
के सम्पर्क में आकर अपनी पत्नि के साथ या घर की अन्य
महिलाओं के साथ अन्याय करने लगे या शारीरिक प्रताड़ना देने लगें या उन्हें अकाल मृत्यु की ओर धकेल दें तो स्त्री जाति के अपमान स्वरूप परिवार में पितृ दोष उत्पन्न हो जाता है इस प्रकार के दोष को डाकिनी-शाकिनी दोष कहा जाता है यह दोष अत्यधिक तीव्र व भयंकर रूप ले सकता है यदि किसी महिला की मृत्यु परिवार के किसी सदस्य के प्रताड़ित करने पर हो जायें।

4. प्रेत दोष
प्रेत दोष में जातक असामाजिक तत्वों के सम्पर्क में आकर उनसे व्यथित रहता है रात-दिन भय के वातावरण में जीवित रहता है इसी व्यवस्था में जीवित रहता है इसी व्यवस्था तथा वातावरण में जातक का अंत हो जाता है

5. क्षेत्रपाल दोष
जब रक्षक ही भक्षक बन जाए एवं जातक विश्वासघात में लिप्त हो जाए तो क्षेत्रपाल नाम का पितृदोष होता है

6. बेताल दोष
यदि कोई जातक किसी की हत्या करते तो वह बेताल दोष से पीड़ित होता है

पितृ दोष शांति उपाय
1. पितृपक्ष में श्रीमद्भागवत का मूल पाठ त्रिपिंडी श्राद्ध करें नाग नारायण बली करे .
2. अपनी पुत्री के अतिरिक्त किसी का कन्यादान करें
3. गाय का दान करें या उसे हरा चारा खिलाएं
4. अपने वृद्ध माता-पिता की सेवा करें
5. विष्णु भगवान की पूजा करें।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *