पूर्वांचल दौरे से 2024 के भी समीकरणों को साध गए अमित शाह, योगी के साथ खड़े होने का दिया संदेश
15नवंबर2021
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पूर्वांचल दौरे से इस इलाके में भाजपा की सियासी बाजी सजा गए। उनकी एक-एक गतिविधि और एक-एक शब्द में भाजपा के सियासी अमोघ अस्त्रों को धार देने की कोशिश का हिस्सा दिखा। शाह राजनीतिक संदेश देने के साथ अपनी भूमिका को लेकर चल रहे कयासों पर विराम लगाने की भी कोशिश करते दिखे। इस दौरे में गृह मंत्री ने 2022 के जरिए 2024 की चुनावी जमीन भी पुख्ता बनाने के समीकरण साधे।
शाह ने बाबा विश्वनाथ की धरती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के संसदीय इलाके से यह संदेश देने की कोशिश की कि वह पूरी ताकत से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके निर्णयों के साथ खड़े हैं। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि राजनीति में किसी नेतृत्व पर भरोसा न सिर्फ उस राज्य के लोगों को सरकार की स्थिरता का संदेश देता है, बल्कि असमंजस खत्म करने के साथ अनावश्यक चर्चाओं पर भी विराम लगाता है, जिसका संबंधित पार्टी को काफी दूरगामी लाभ मिलता है क्योंकि सियासी असमंजस खत्म होने से उस पार्टी को जन समर्थन बढ़ता है।
शाह के संदेश का निहितार्थ
रतनमणि कहते हैं कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की दृष्टि से यूपी का 2022 का विधानसभा चुनाव काफी अहम है। यह चुनाव सिर्फ जीत-हार ही नहीं तय करने जा रहा है, बल्कि यूपी का राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा। लोकसभा में यूपी की 80 सीटें 2022 के विधानसभा चुनाव के नतीजों से सीधे प्रभावित होंगी। भाजपा के लिए 2022 सिर्फ यूपी में सरकार बनाने के लिए महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि 2024 का चुनाव जीतने का माहौल बनाकर देश के राजनीतिक पटल पर अपनी भूमिका को अपराजेय बनाने का संदेश देने का भी मौका है।
कयासों पर विराम लगाने का प्रयास
शाह ने यह भी बताने का प्रयास किया कि भले ही वे गृह मंत्री की भूमिका में आ चुके हों, लेकिन चुनावी नजरिए से संगठन की नीति व रणनीति तय करने में उनका हस्तक्षेप पहले जैसा ही है। उन्होंने दो दिन में वाराणसी, आजमगढ़ और बस्ती के दौरे में बातों, प्रतीकों और तेवरों से यही संदेश देने की कोशिश की। कयासों पर विराम कार्यकर्ताओं का भ्रम भी दूर करता है और आम लोगों के बीच पार्टी को लेकर असमंजस भी दूर होता है।