राजनीति

बसपा ने चुनावी रण के लिए मायावती ने तैयार किया मास्टर प्लान

लखनऊ23अगस्त:कुछ वर्ष पहले तक अपने कैडर की ताकत से सियासी तख्त पलटती रहीं बसपा प्रमुख मायावती अब यह समझ चुकी हैं कि खोखली जमीन में फंसते चले गए हाथी को आगे बढ़ाने के लिए अब पक्की जमीन चाहिए।यूपी में सदस्यता अभियान से अपना कुनबा मजबूत करेगी बसपा

अपनी रणनीति में अब तक कई प्रयोग कर चुकीं मायावती की नजर अब संगठन की मजबूती पर है। पहले तो सदस्यता अभियान से सियासी कुनबा बढ़ाना चाहती हैं और फिर निकाय चुनाव में भी कैडर के कार्यकर्ताओं को ही प्रत्याशी बनाकर वह ऐसी समर्पित टीम बनाना चाहती हैं, जो 2024 के रण में नीला झंडा बुलंद करने के लिए जूझ सकें,एक दशक पहले सत्ता गंवाने के बाद से बसपा का प्रदर्शन लगातार खराब ही रहा है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में शून्य पर सिमटने वाली बसपा हाल के विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट ही जीत सकी।वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के 10 सांसद तब चुने गए थे, जब उसने अपनी धुर विरोधी समाजववादी पार्टी से हाथ मिलाया था। हालांकि, लोकसभा चुनाव के बाद ही बसपा प्रमुख ने सपा से नाता तोड़ लिया था और पिछला विधानसभा चुनाव अकेले ही लड़ीं।अभी लोकसभा चुनाव में जहां लगभग डेढ़ वर्ष का वक्त है, वहीं नगरीय निकाय चुनाव इसी वर्ष के अंत में प्रस्तावित हैं। ऐसे में मायावती की कोशिश है कि पहले-पहल पार्टी को मजबूत करने के साथ ही खिसकते जनाधार को पहले की तरह हासिल किया जाए। इसके लिए उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों को अभी सदस्यता अभियान चलाकर ज्यादा से ज्यादा सदस्य बनाने का जिम्मा सौंपा है।सदस्यता अभियान के जरिए बसपा अध्यक्ष जहां जनाधार बढ़ाना चाहती हैं, वहीं 50 रुपये के बजाय अबकी 200 रुपये सदस्यता शुल्क लेकर पार्टी की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बनाने में जुटी है। वैसे तो प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से 75 हजार सदस्य बनाने के लिए कहा गया है, लेकिन इतना न सही तो कम से कम एक करोड़ सक्रिय सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है।पार्टी सूत्रों का कहना है कि अभी 31 अगस्त तक सदस्यता अभियान चलाने का निर्देश है। 31 अगस्त के बाद नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी में सभी जुटेंगे। सदस्य बनाने में सक्रियता दिखाने वाले पार्टी के वफादारों को ही महापौर से लेकर पार्षद तक का टिकट दिए जाने में प्राथमिकता रहेगी।पार्टी नेताओं का मानना है कि सत्ता में रहते बहन जी (मायावती) ने जिस तरह से मलिन बस्तियों को बुनियादी सुविधाओं से लैस किया था और शहरी गरीबों को मुफ्त मकान दिया था, उसका लाभ अबकी निकाय चुनाव में भी पार्टी को मिलेगा। गौरतलब है कि पांच वर्ष पहले हुए निकाय चुनाव में बसपा ने खासतौर से अलीगढ़ और मेरठ के मेयर की कुर्सी पर कब्जा जमाकर सभी को चौंका दिया था।दलबलुओं से भी हैं सतर्क बसपा का प्रयास है कि निकाय चुनाव में जमीन से जुड़े मिशनरी सोच रखने वाले वफादार युवाओं और महिलाओं को टिकट देकर उनकी जीत सुनिश्चित की जाए, ताकि बाद में वे सत्ता के दबाव में आकर दूसरी पार्टी की ओर मुंह न कर लें। ऐसे में निकाय चुनाव जीतने वालों के दम पर लोकसभा चुनाव की जमीन मजबूत की जा सकेगी।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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