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बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की विशाल रैली: संसद मे एकतरफा कदम के खिलाफ देश व्यापी हड़ताल की चेतावनी

नई दिल्ली 23 नवंबर:ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन द्वारा आव्हान पर देश भर के विभिन्न राज्यों के हजारों बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने दिल्ली में जंतर मंतर पर एक विशाल रैली की। एनसीसीओईईई के वरिष्ठ नेताओं में मुख्य रूप से शैलेंद्र दुबे, ई करीम, प्रशांत एन चौधरी, मोहन शर्मा, आर के त्रिवेदी, कुलदीप कुमार, पी रत्नाकर राव, पदमजीत सिंह, के अशोक राव, अभिमन्यु धनखड़, समर सिन्हा, आर के शर्मा, कृष्णा भोयूर ने रैली को संबोधित किया।

आम आदमी पार्टी,पूर्व सांसदों औऱ संयुक्त किसान मोर्चा का समर्थन,एकतरफा प्रयास के खिलाफ प्रस्ताव पास

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन द्वारा की गई रैली को एलाराम करीम सांसद, आर कृष्णैया सांसद, डी राजा सांसद, तपन सेन पूर्व सांसद, संयुक्ता किसान मोर्चा के हन्नान मुल्ला और आम आदमी पार्टी के गौरव माहेश्वरी ने रैली को संबोधित किया और बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 और निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारी आंदोलन का समर्थन किया बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 को पारित करने के केंद्र सरकार के किसी भी एकतरफा प्रयास के खिलाफ रैली में एक प्रस्ताव पारित किया गया था। प्रस्ताव में कहा गया है कि यदि केंद्र सरकार संसद में एकतरफा विधेयक को पारित करने का प्रयास करती है तो पूरे देश में बिजली कर्मचारी और इंजीनियर होंगे। हड़ताल पर जाने को विवश है जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।

निजीकरण के साथ पुरानी पेंशन की बहाली औऱ आउटसोर्स कर्मियो को नियामित करने की मांग

बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 का विरोध करने के अलावा बिजली कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना और सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करने की मांग कर रहे हैं।

स्थाई समिति पर बिजली कर्मचारियो/उपभोक्ताओं से चर्चा न करने का आरोप,केंद्र शासित राज्यो से विरोध करने की अपील

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने कहा कि हालांकि लोकसभा ने बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 को ऊर्जा पर स्थायी समिति को भेज दिया है, लेकिन आज तक स्थायी समिति ने बिजली कर्मचारियों या बिजली उपभोक्ताओं के साथ कोई चर्चा नहीं की है जो सबसे बड़े हितधारक हैं। उन्होंने कहा कि देश भर के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों को विश्वास में लिए बिना बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 को संसद में पारित कराने की किसी भी एकतरफा कार्रवाई का कड़ा विरोध किया जाएगा तो विरोध में देशव्यापी हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी। NCCOEEE ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी मुख्यमंत्रियों से अपील की है कि वे ऊर्जा क्षेत्र और बिजली उपभोक्ताओं के व्यापक हित में बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 का पुरजोर विरोध करें।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने यहां कहा कि पिछले साल किसान आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा को भेजे पत्र में लिखित आश्वासन दिया है कि बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 नहीं होगा ।बिल को सभी हितधारकों के साथ चर्चा के बिना संसद में रखा गया। उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र में सबसे बड़े हितधारक बिजली उपभोक्ता और बिजली कर्मचारी हैं। विद्युत (संशोधन) विधेयक 2022 के माध्यम से प्रस्तावित संशोधनों पर केंद्र सरकार और केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने आज तक न तो बिजली के उपभोक्ता संगठनों और न ही बिजली कर्मचारियों के किसी संगठन के साथ कोई बातचीत की है। इसलिए यदि यह विधेयक बिना बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लिए संसद में एकतरफा पारित हो जाता है तो यह केंद्र सरकार के लिखित आश्वासन का स्पष्ट उल्लंघन होगा और इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।

उपभोक्ताओं के साथ छलावा,बिल के जरिये निजी घरानों को लाभ के लिए सौंपने की मंशा

उन्होंने कहा कि बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 के जरिए उपभोक्ताओं को विकल्प देने का मामला पूरी तरह गलत है. दरअसल, इस संशोधन के जरिए केंद्र सरकार सरकारी डिस्कॉम के मौजूदा नेटवर्क के जरिए बिजली की आपूर्ति के लिए निजी कंपनियों को बिजली वितरण सौंपने जा रही है। बिजली के सरकारी निगमों ने अरबों खरबों रुपये खर्च कर बिजली के पारेषण और वितरण का एक नेटवर्क स्थापित किया है और इसके रखरखाव पर, सरकारी निगम प्रति माह करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं। इस बिल के माध्यम से निजी घरानों को लाभ कमाने के लिए इस नेटवर्क का उपयोग करने की अनुमति है। सरकार की मंशा इस संशोधन विधेयक को आगे बढ़ाने की है।

बिल से सार्वजनिक क्षेत्रों के साथ घरेलू औऱ ग्रामीण उपभोक्ताओं को होगा नुकसान

जहां तक ​बिल का संबंध है कि इससे उपभोक्ताओं को विकल्प मिलेगा, यह पूरी तरह से गलत है क्योंकि सार्वभौमिक बिजली आपूर्ति दायित्व केवल सरकारी डिस्कॉम का होगा। निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियां सरकारी नेटवर्क का उपयोग केवल लाभदायक औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को बिजली उपलब्ध कराने के लिए करेंगी। इस तरह घाटे में चल रहे घरेलू उपभोक्ताओं और ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को बिजली उपलब्ध कराने का काम डिफॉल्ट रूप से सरकारी बिजली वितरण कंपनी के पास ही रहेगा. इससे सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियां आर्थिक रूप से कमजोर हो जाएंगी और उनके पास बिजली खरीदने के लिए जरूरी धन भी नहीं होगा।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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