बोन टीबी के प्रसार का कारण वैक्टीरिया : डॉ सौरभ सिंह
वाराणसी26मार्च,विश्व क्षय रोग दिवस पर बीचयू ट्रामा सेन्टर के आचार्य प्रभारी डॉ. सौरभ सिंह ने संक्रामक रोग बोन टीबी पर चर्चा करते हुए बताया कि ये रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलता है। उन्होंने बताया कि इससे हाथ पैर के जोड़, कोहनियां और कलाई प्रभावित होते हैं। दूसरे अंगों में संक्रमण टीबी हो जाने के बाद फैलता है, टीबी का वैक्टीरिया खून के जरिये हड्डियों और अन्य अंगों पर जाकर बैठ जाता है और उस जगह पर घाव करता है। शरीर पर होने वाले घाव व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता पर भी निर्भर करते हैं। उत्तर भारत में स्पाइनल एवं घुटने के जोड़ों की टीबी प्रमुख रूप से पाई जाती है। बोन टीबी का प्रमुख लक्षण शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द होना, लम्बे समय तक बुखार रहना और वजन कम होना इत्यादि है। आमतौर पर मरीजों को हड्डियों की टीबी के बारे में देर से पता चलता है। मस्कुलोस्केलेटल टीबी किसी भी आयु में हो सकता है, उसके लक्षण दिखने पर प्रशिक्षित चिकित्सक से परामर्श लेकर समय पर इस बीमारी का इलाज करना बहुत जरूरी होता है अन्यथा देर होने पर पीड़ित व्यक्ति दिव्यांग भी हो सकता है। सीटी स्कैन और एमआरआई के माध्यम से आसानी से पता चल सकता है। डॉ सौरभ सिंह बताते हैं कि राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम की रिपोर्ट के अनुसार भारत में टीबी के कुल मामलों में 20 फीसदी से अधिक मामले एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी के होते हैं, जिसमें बोन टीबी के 5-10 प्रतिशत मरीज होते हैं इसलिए बोन टीबी ज्यादा खतरनाक है।