एक झलक

मधुराधिपति रखिलं मधुरं

18नवंबर2021

भगवान की वाणी की तीन विशेषताएँ हैं, वह मधुर है वह सुंदर वाक्यों वाली है और बुद्धिमानों को भी अच्छी लगने वाली है। मधुरया गिरा प्रथम भगवान की वाणी मधुर है। मधुर का अर्थ होता है जो अमृत दान करें, भगवान की वाणी तो मधुर ही है जो भक्तों के लिए अमृत दान करती है।

सच्चिदानंद घन स्वरूप भगवान की मात्र वाणी ही नहीं अपितु उनका स्वरूप, लीला व कथा आदि सभी मधुर है वे तो मधुराधिपति हैं। उनकी मधुर वाणी को सुनकर भला कौन मोहित नहीं होता “मधुराधिपति रखिलं मधुरं”

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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