एक झलक

मन और विचार में पूर्ण एकता होनी चाहिए

7नवम्बर2021

“मेरे लिए कोई बात असंभव नहीं”यह वाक्य हृदय पटल पर मुद्रित करके उसके अनुसार चलना अत्यन्त आवश्यक है समस्त प्राणी मात्र के प्रति प्रेम भाव धारण करना चाहिए स्वयं काम कीजिए, स्वयं सोचिये मन और विचार में पूर्ण एकता होनी चाहिए।

आत्मा में जो अभयादि शक्ति निवास करती हैं, उसको जाग्रत करने वाला साधन मन ही है इसलिए मन को विशाल बनाकर अधिक सामर्थ्यशाली बनाने की आवश्यकता है यदि वह कमजोर होगा तो सामर्थ्य को जाग्रत नहीं कर सकेगा।चैतन्य सर्वव्यापी है, प्रत्येक मनुष्य उसका अंश है इसलिए प्रत्येक मनुष्य ईश्वर का अंश माना जाता है यह भावना सदा जाग्रत रखनी चाहिए।“मेरे लिए कोई बात असंभव नहीं”यह वाक्य हृदय पटल पर मुद्रित करके उसके अनुसार चलना अत्यन्त आवश्यक है अपने शरीर के आन्तरिक भाग में शान्ति रख कर उस भाग में प्रवेश कर वहाँ के निद्रित कम्पन को अपने सामर्थ्य से जागृत करना चाहिए।

दूसरी बात समस्त प्राणी मात्र के प्रति प्रेम भाव धारण करना चाहिए मानसिक शक्ति के विकास के लिए प्रेम का बहुत उपयोग होता है सर्व व्यापी चैतन्य के यदि हम एक अंश हैं तो क्या प्रेम भी सर्वव्यापी न होना चाहिए समस्त भूतमात्र में परमेश्वर व्याप्त है, इसलिए यह बात ध्यान में रखकर यदि ऐसी ही भावना करोगे, तो अन्य विकास होने में अधिक समय न लगेगा।शरीर व मन के प्रत्येक अणु अणु में सामर्थ्य भरी है जब उसका उपयोग होगा, तभी वह जाग्रत भी होगी स्वयं काम कीजिए, स्वयं सोचिये प्रत्येक परमाणु को जाग्रत करना अत्यन्त आवश्यक है।चौथा महत्वपूर्ण साधन मन और विचार में पूर्ण एकता होनी चाहिए व्यवहार एक तरह का, भाषण दूसरी तरह का, व्यवहार और तथा मन में और-ऐसा असामंजस्य बुद्धि को ढीला करता है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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