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महंगाई की मार: 8 साल के उच्च स्तर पर, अब थोक महंगाई ने भी नया रिकॉर्ड बनाया

नई दिल्ली18मई: भारत में महंगाई लगातार बढ़ते जा रही है. खुदरा महंगाई पहले से ही 8 साल के उच्च स्तर पर है. अब थोक महंगाई ने भी नया रिकॉर्ड बना दिया है और छलांग लगाकर 15 फीसदी के पार निकल गई है. साल 1998 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब थोक महंगाई की दर 15 फीसदी के पार निकली है. इससे पहले साल 1998 के दिसंबर महीने में थोक महंगाई 15 फीसदी से ऊपर रही थी.

डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2022 में थोक महंगाई की दर बढ़कर 15.08 फीसदी पर पहुंच गई. साल भर पहले थोक महंगाई की दर 10.74 फीसदी रही थी. एक महीने पहले यानी मार्च 2022 में इसकी दर 14.55 फीसदी रही थी. यह लगातार 13वां ऐसा महीना है, जब थोक महंगाई की दर 10 फीसदी से ज्यादा रही है. इस तरह भारत में एक बार फिर से उच्च महंगाई वाले पुराने दिन वापस लौट आए हैं. दिसंबर 1998 में थोक महंगाई की दर 15.32 फीसदी रही थी.

हाल के महीनों के आंकड़ों को देखें तो पिछले एक साल से थोक महंगाई लगातार बढ़ी है. इस साल फरवरी में थोक महंगाई थोड़ी कम होकर 13.43 फीसदी पर आई थी. हालांकि इसके बाद रूस-यूक्रेन जंग के चलते कच्चा तेल की कीमतें आसमान छूने से चीजों के दाम बढ़ने लगे. इसका परिणाम हुआ कि महंगाई की दर भी तेजी से बढ़ने लगी. मार्च महीने में थोक महंगाई एक फीसदी से ज्यादा उछलकर 14.55 फीसदी पर पहुंच गई थी. इस तस्वीर में देखिए कि पिछले एक साल में थोक महंगाई की चाल कैसी रही है…

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 2017 में थोक महंगाई के बेस ईयर में बदलाव किया था. अभी थोक महंगाई का बेस ईयर 2011-12 है. इससे पहले तक थोक महंगाई की गणना 2004-05 को बेस ईयर मानकर की जाती थी. सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइनेंस के इकोनॉमिस्ट डॉ सुधांशु कुमार ने इस बारे में बताया कि बेस ईयर में परिवर्तन का मतलब है उपयोग में आने वाले वस्तुओं और सेवाओं के समूह यानी बास्केट में परिवर्तन. महंगाई मापने के लिए उपयोग किये जाने वाले इंडेक्स द्वारा किसी खास समय मे प्रचलित उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं के समूह के मूल्य को ट्रैक किया जाता है. इस प्रकार समय के साथ जीवनयापन के खर्चे में किस तरह बदलाव आया है, इसे महंगाई दर से समझा जाता है.

उन्होंने कहा, ‘महंगाई दर की गणना करने के लिए बास्केट और बेस ईयर में नियमित आधार पर बदलाव होता है. इसके लिए बास्केट में वैसी चीजों व सेवाओं को शामिल किया जाता है, जिनका उस दौर में ज्यादा उपभोग हो रहा हो. ऐसा इस कारण किया जाता है कि जिन चीजों का आम लोग ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, उनकी कीमतों का उतार-चढ़ाव इंडेक्स में रिफ्लेक्ट हो. इस हिसाब से देखें तो दिसंबर 1998 में ज्यादा इस्तेमाल हो रही चीजों की ओवरऑल महंगाई दर 15.32 फीसदी थी. ताजा आंकड़े बताते हैं कि लोग अभी जिन चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनकी मंहगाई थोक कीमतों के आधार पर 15.08 फीसदी है.’

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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