पूर्वांचल

माता अन्नपूर्णा सत्रह दिवसीय महाव्रत 24 नवम्बर से प्रारम्भ

महन्त के हाथों भक्तो को मिलेगा 17 गाठ वाला धागा 

वाराणसी22नवंबर:माँ अन्नपूर्णा का 17 दिवसीय महाव्रत अगहन माह के कृष्ण पक्ष के पंचमी तिथि के 24 नवम्बर दिन बुधवार से होगा जिसका समापन 17 वे दिन धान के श्रंगार के साथ अगहन माह के शुक्ल पक्ष 9 दिसम्बर शुक्रवात को होगा।

मां अन्नपूर्णा का महाव्रत बुधवार से आरंभ होने जा रहा है। यह महाव्रत 17 वर्ष 17 महीने 17 दिन का होता है। परंपरा के अनुसार इस व्रत के प्रथम दिन प्रातः मंदिर के महंत स्वयं अपने हाथों से 17 गांठ के धागे भक्तों को देते हैं।

माता अन्नपूर्णा के इस महाव्रत में भक्त 17 गांठ वाला धागा धारण करते हैं। इसमें महिलाएं बाएं व पुरुष दाहिने हाथ में इसे धारण करते हैं। इसमें अन्न का सेवन वर्जित होता है। केवल एक वक्त फलाहार किया जाता है वह भी बिना नमक का। 17 दिन तक चलने वाले इस अनुष्ठान का उद्यापन 9 दिसम्बर को होगा उसी दिन माँ धान की बालियों से मां अन्नपूर्णा के गर्भ गृह समेत मंदिर परिसर को सजाया जाता है और प्रसाद स्वरूप धान के बाली आम भक्तों में वितरण किया जाता है ।

मान्यता है की पूर्वांचल के किसान अपनी फसल की पहली धान की बाली मां को अर्पित करते है और उसी बाली को प्रसाद के रूप में दूसरी धान की फसल में मिलाते हैं। वे मानते है कि फसल में बढ़ोतरी होती है।

महंत शंकर पूरी ने कहा माता अन्नपूर्णा का व्रत-पूजन दैविक, भौतिक का सुख प्रदान करता है और अन्न-धन, ऐश्वर्य की कमी नहीं होती है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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