राजनीति

मुर्मू की जीत से ज्यादा यशवंत सिन्हा की हार के चर्चे, तीन बिंदुओं में जानें कहां हुई चूक?

मुर्मू की जीत से ज्यादा यशवंत सिन्हा की हार के चर्चे, तीन बिंदुओं में जानें कहां हुई चूक?

22जुलाई2022
द्रौपदी मुर्मू देश की अगली राष्ट्रपति होंगी। तीन दौर की मतगणना के बाद ही उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा पर निर्णायक बढ़त बना ली। आखिरी राउंड की मतगणना के बाद उन्हें विजेता घोषित कर दिया गया। वहीं, सिन्हा पहले राउंड में ही रेस से बाहर हो गए थे। यूं तो पहले से ही आंकड़े मुर्मू के पक्ष में थे, लेकिन यशवंत सिन्हा इस तरह से हारेंगे यह किसी ने नहीं सोचा था। यही कारण है कि द्रौपदी मुर्मू की जीत से ज्यादा अभी यशवंत सिन्हा की हार के चर्चा हो रहे हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में पहले राउंड में सांसदों के वोटों की गिनती की गई। लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर कुल 776 सांसदों के वोट मान्य थे। हालांकि, इनमें 15 मत रद्द हो गए, जबकि कुछ सांसदों ने वोट नहीं डाले थे। कुल 748 सांसदों के 5,23,600 वैल्यू तक के वोट काउंट हुए। इनमें द्रौपदी मुर्मू को 540 वोट मिले। इन वोटों की वैल्यू 3,78,000 रही।

वहीं, यशवंत सिन्हा को 208 सांसदों के वो मिले। इनकी वैल्यू 1,45,600 रही। यानी संसद में मुर्मू को 72 फीसदी सांसदों का समर्थन हासिल हुआ है, जबकि यशवंत सिन्हा के लिए सिर्फ 28 फीसदी सांसदों ने ही वोट डाला। खास बात ये है कि विपक्ष के 17 सांसदों ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की। मतलब पहले राउंड में ही सिन्हा रेस से बाहर हो गए थे।

मुर्मू को जीत के लिए जरूरी 5 लाख 43 हजार 261 वोट तीसरे राउंड में ही मिल गए। तीन राउंड की गिनती पूरी होने के बाद मुर्मू को 5 लाख 77 हजार 777 वोट मिल चुके थे। वहीं, यशवंत सिन्हा 2 लाख 61 हजार 62 वोट ही जुटा सके। इसमें राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों समेत 20 राज्यों के वोट शामिल हैं।

तीन राउंड की गिनती के बाद यशवंत सिन्हा ने भी हार मान ली। उन्होंने मुर्मू को बधाई देते हुए कहा- द्रौपदी मुर्मू को उनकी जीत पर बधाई देता हूं। देश को उम्मीद है कि गणतंत्र के 15वें राष्ट्रपति के रूप में वे बिना किसी भय या पक्षपात के संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करेंगी।

विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा मतगणना के पहले ही राउंड में बाहर हो गए थे। मुर्मू की पहले राउंड में वोट वैल्यू 3.78 लाख थी। जबकि, सिन्हा 1.45 पर टिके थे। इसके बाद तीसरे राउंड तक जीत का अंतर बढ़ता गया। चौथे राउंड में सिन्हा ने वापसी जरूरी की, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। आंकड़ों के मुताबिक, मुर्मू को 6,76,803 वोट मिले, जबकि सिन्हा को 3,80,177 वोट मिले। इस तरह द्रौपदी मुर्मू देश की नई राष्ट्रपति होंगी।

हमने ये समझने के लिए राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. प्रवीण मिश्र से बात की। उन्होंने कहा, ‘तीन दौर की गिनती से ही साफ हो गया कि 17 सांसद और 110 विपक्ष के विधायकों ने यशवंत सिन्हा की बजाय द्रौपदी मुर्मू को वोट किया है। सिन्हा को समर्थन देने के एलान के बाद भी विपक्ष के सांसद और विधायकों द्वारा द्रौपदी मुर्मू को वोट करना इस बात की तस्दीक करता है कि विपक्ष पूरी तरह से सिन्हा को लेकर एकजुट नहीं हो पाया।’

सिन्हा के मुकाबले एनडीए की उम्मीदवार ज्यादा प्रभावी: सिन्हा सामान्य वर्ग से आते हैं और एक समय भाजपा के बड़े नेता रहे। वहीं, द्रौपदी मुर्मू आदिवासी महिला हैं। ऐसे में अगर विपक्ष के सांसदों और विधायकों को भी मालूम है कि अगर वह मुर्मू का समर्थन करते हैं तो आगे चुनाव में उन्हें इसका फायदा हो सकता है। वह दलित, पिछड़े और आदिवासी वोटर्स के बीच जाकर ये कह सकेंगे कि उन्होंने मुर्मू का साथ दिया।

सिन्हा के नाम पर सबको संतुष्ट नहीं कर पाए विपक्षी दलों के मुखिया: यशवंत सिन्हा के नाम का एलान करते वक्त कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी समेत कई विपक्षी दलों के बड़े नेता मौजूद रहे। हालांकि, ये नेता अपने ही सांसदों और विधायकों को संतुष्ट नहीं कर पाए कि सिन्हा को क्यों वोट किया जाए? यूपी में सिन्हा का एक पुराना बयान भी वायरल हो गया। जिसमें दावा किया गया कि सिन्हा ने कभी सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को आईएसआई का एजेंट बताया था। यही कारण है कि कुछ सपा विधायकों ने भी सिन्हा की जगह मुर्मू को वोट डालने की खबरें आईं।

आपस में ही लड़ते रह गए विपक्षी दल : विपक्ष में एकजुटता नहीं है। इसका कारण ये है कि अब कोई भी दल कांग्रेस का नेतृत्व नहीं मानना चाहता है। विपक्ष में ज्यादातर दल क्षेत्रीय हैं और अब सभी खुद ही विपक्ष का नेतृत्व करना चाहते हैं। फिर वह टीएमसी की ममता बनर्जी हों या टीआरएस के के. चंद्रशेखर राव। बिहार में तेजस्वी यादव हों या यूपी में अखिलेश यादव। हर कोई अब राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देना चाहता है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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