पूर्वांचल

रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला में दसवें दिन, पांव पखार केवट ने प्रभु श्री राम को कराया गंगा पार

वाराणसी18सितंबर :केवट बिना चरण पखारे प्रभु श्रीराम को नाव पर बैठाने से इंकार कर देता है। गंगा पार कराने के बाद पारिश्रमिक लेने की बजाय पैर पकड़ लेता है।हवाला देता है कि हम दोनों खेवनहार हैं। आज मैंने आपको गंगा पार कराया कल आप मुझे भवसागर पार करा दीजिएगा।

रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला में दसवें दिन ऐसे प्रसंगों-संवादों ने लीलाप्रेमियों को विभोर किया और गदगद भी कर दिया।

रविवार को गंगावतरण, भारद्वाज समागम, यमुनावतरण, वाल्मीकि समागम, चित्रकूट निवास व सुमंत का अयोध्या गमन आदि लीलाओं का मंचन किया गया।

प्रसंगानुसार प्रभु श्रीराम को वट वृक्ष के दूध से जटा बनाते देख सुमंत द्रवित हो रो पड़ते हैं। श्रीराम सुमंत को समझाते हुए कहते हैं कि आप अयोध्या जाकर महाराज दशरथ को समझाइए कि वह हमारे शोक में दुखी न हो। इसी समय लक्ष्मण के महाराज दशरथ पर क्रोधित होने पर श्रीराम डांट कर चुप कराते हैं।

प्रभु की आज्ञा का पालन करते हुए सुमंत अयोध्या लौट जाते हैं। श्रीराम निषादराज के साथ गंगा किनारे जाते हैं और केवट से आग्रह कर गंगा पार कर प्रयागराज पहुंच जाते हैं। त्रिवेणी स्नान ध्यान कर सपरिवार भारद्वाज ऋषि आश्रम पहुंच उन्हें प्रणाम करते हैं। रास्ते में ग्रामवासी प्रभु से मिलकर धन्य होते हैं तो तपस्वी वेशधारी हनुमानजी प्रभु श्रीराम व सीता को प्रणाम करते हैं।

श्रीराम उन्हें गले लगाते हैं और उनकी आज्ञा से निषादराज वापस लौट जाते हैं। श्रीराम आगमन की जानकारी पर वाल्मीकि मुनि उन्हें चित्रकूट में निवास की सलाह देते हैं। चित्रकूट पहुंचकर श्रीराम सपरिवार मंदाकिनी में स्नान करते हैं और विश्वकर्मा भगवान सुंदर कुटिया का निर्माण करते हैं। इसी के साथ आरती संग रामलीला को रविवार को विश्राम दिया जाता है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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