वाह रे उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन,अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबू का एक और अवैध आदेश , पावर कार्पोरेशन मे फिर एक बडे घोटाले की आशंका
लखनऊ 20 मई,उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड मे तैनात बडकऊ यानि कि अवैध अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन का एक आदेश संज्ञान मे आय कौतुहल वश शीघ्रता से उसे अपने वाटसेप ग्रुप मे ढूढा और पढा । उक्त आदेश को पढने के बाद पूर्व मे हुए पी एफ घोटाले की याद ताजा हो गयी जिसमे इन अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबूओ के द्वारा पीएफ फण्ड का का करोडो रूपया एक निजी कम्पनी मे नियम विरुद्ध लगाया गया था और आज जो आदेश संज्ञान मे आया है उसको पढ कर फिर से एक बडे घोटाले की आहट सुनाई देने लगी है उस घोटाले के दोषीयो को इन बडका बाबू जी ने तो बरी कर दिया था कुछ आरोपियो से वसूली के भी आदेश इन बडकऊ ने कर दिये थे परन्तु घन्य है हमारी न्यायपलिका जिसने इनके आदेशो को फिर से पलट दिया अब फिर नियम कानूनो की धज्जिया उडाते हुए दो निर्वाचित ट्रस्टियो को जनाब ने बाहर निकाल दिया शायद उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे कोई बडे घोटाले की नीव फिर से रखी जा रही है जिसकी अडचन यह ट्रस्टी थे इसी लिए इनको निकाल के बाहर कर दिया गया अब तो ऐसा लग रहा है कि जैसे कार्पोरेशन मे अवैध रूप से विराजमान अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन के सिवाय कोई और अधिकारी ही नही विभाग मे चर्चा है कि जनाब मंत्री जी की भी नही सुनते । वैसे आज शक्तिभवन मे एक और चर्चा का बाजार गर्म था कि मंत्री जी द्वारा बुधवार को एक समीक्षा बैठक आहूत की गयी थी जिसमे ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव की उपस्थिती मे राज्य स्तरीय संभव की आनलाईन जन सुनवाई की जानी थी इसमे सभी शीर्ष प्रबन्धन को उपस्थित रहना था परन्तु चर्चा है कि अपर मुख्य सचिव ऊर्जा को शक्तिभवन मे घुसने भी नही मिला काफी देर इन्तेजार करने के बाद जनाब वापस अपने कार्यालय चले गये जब यह चर्चा हमारे कानो मे पडी तो हमने पडताल शुरू की तो माननीय मंत्री जी के वाटसेप ग्रुप मे कुछ तस्वीरे मिली जिसमे वास्तव मे ऊर्जा सचिव की कुर्सी खाली दिखाई दी आगे पडताल करने पर पता चला कि नयी व्यवस्था के अन्तर्गत शक्तिभवन मुख्यालय मे जाने के लिए पास की आवश्यकता है परन्तु ऊर्जा सचिव के लिए पास कौन व कैसे बने यही यक्ष प्रश्न था इसमे काफी समय लगा । इस अपमान का घूट पीक कर ऊर्जा सचिव को अपने कार्यालय जाना इन अवैध रूप से विराजमान बडका बाबू की कार्यशैली को बताने के लिए काफी है वैसे बडकऊ की इस हरकत पर मिर्जा गालिब का एक शेर याद आता है कि बडे बेआबरू हो कर तेरे कूचे से हम निकले बहुत निकले मेरे अरमान फिर भी कम निकले । वैसे कम शब्दो मे लिखी बात को जो समझे वो समझदार । खैर
भ्रष्टचार और भ्रष्टाचारियों के विरूद्ध युद्ध अभी शेष है