वाह रे पावर कार्पोरेशन, अनुभवहीन बड़केबाबुओ का खेल कैसे बनी पावर कार्पोरेशन उनकी जागीर
लखनऊ8फरवरी: बडका बाबूओ की अनुभवहीनता देखनी हो तो लखनऊ मे अपट्रान का हाल देख ले किस तरह से एक चलते फलते फूलते औद्योगिक क्षेत्र को इन बडका बाबूओ ने बर्बाद कर दिया यह उसकी मिसाल है अब बात करते है इन अनुभवहीन बड़केबाबुओ की जिनकी तैनाती नियम विरुद्ध तरीके से उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन और स्वायत्त वितरण निगमो ,पारेषण निगम व उत्पादन निगम आदि मे की गयी । सन 2001 मे उ प्र राज्य विद्युत परिषद को भंग कर उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड का गठन होता है और वितरण के लिए स्वायत्त वितरण निगमो का व पारेषण , उत्पादन ,जल विद्युत को भी स्वायत्त दी गयी और इनके बीच समन्वय स्थापित करने के लिए पावर कार्पोरेशन का गठन किया गया यह सभी कम्पनिया कम्पनी रजिस्ट्रार के पास रजिस्टर्ड कराई गयी सभी का अपना अपना मेमोरेंडम आफ आर्टिकल भी बनाया गया कि अब सभी सस्थाऐ कम्पनी एक्ट के माध्यम से चलेगी इसके अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, व निदेशको की जब तक नियमानुसार नियुक्ति नही हो जाती तब तक इस जिम्मेदारी को कुछ समय के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारीगण देखेगे और नियमानुसार नियुक्ति होने पर सभी जिम्मेदारिया चयनित लोगो को देखकर कार्यमुक्त हो जाएगे । बस उसी दिन से बडका बाबूओ की बपैती बन गया पावर कार्पोरेशन और वितरण निगम व अन्य निगम और शुरू हुआ बडका बाबूओ का खेल बडका बाबू लोग यहा तैनात अभियन्ताओ व कर्मचारियो को अपना गुलाम समझते है और मनमाने फैसलो लेते है यहा तक इनकी निरंकुशता बढ गयी है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय मे भी शपथपत्र दाखिल करने के बाद भी उसका अनुपालन नही किया जाता । यह तो हुई कहानी राज्य विद्युत परिषद से उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन बनने व इसमे अनुभवहीन बड़केबाबुओ कैसे घुसे इस विभाग मे इसकी अगली कडी मे इन बडका बाबूओ के भ्रष्टाचार की कहानिया समय का उपभोक्त राष्ट्रीय हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्र पर प्रकाशित होगी । खैर
युद्ध अभी शेष है