एक झलक

वाह रे पावर कार्पोरेशन वाह,शक्तिभवन मुख्यालय मे दफनाऐ जाते है बडका बाबूओ के घोटाले और पाते है इनाम

लखनऊ 30जुलाई: एक बडा यक्ष प्रश्न है कि शक्तिभवन किस का मुख्यालय है उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन का या राज्य विद्युत परिषद का जवाब ढूढते ढूढते आखिर पहुंच गये । शक्तिभवन के गेट अन्दर हम पहुचे ही थे कि एक विश्वप्रसिद्ध मोटर साईकिल हार्ले डेविडसन की आवाज ने हमे चौकाया पता चला कि यह यहाँ पर कार्यरत एक बाबू है जो विश्व की सबसे महगी मोटर साइकिल पर शक्तिभवन आते है गाडी के ख्यालो मे खोया हुआ शक्तिभवन कि कैन्टीन पहुचा सोचा यही से मेरे सवालो के जवाब मिल जाऐगे या कोई तो रास्ता मिलेगा मेरे सवालो के जवाब ढूढने का और सोचना एकदम सही निकला कुछ बूढे सेवानिवृत्त हो चुके नेताओ जो कि अक्सर बैठेहोते है वो आपस मे मेरी ही शक्तिभवन मे तबादला एक्सप्रेस वाली खबर पर अपनी चोच लडा रहे थे तो मैने सोचा कि कही मेरी शकाओ का समाधान भी इन नेताओ कि चर्चा मे मिल सकता है तो बैठ गये कान खोल कर चर्चा सुनने ।

लेकिन जो चर्चा सुनी तो पाव तले जमीन ही निकल गयी कि यहाँ तो हम बडका बाबू को ही अवैध रूप से तैनात कहते है यहाँ तो पूरा का पूरा मुख्यालय ही अवैध निकला है जिसे जानने कि जिज्ञासा बढती गयी कि कैसे अवैध है तो पता चला कि उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन तो अन्य सभी कम्पनियो मे समनवय स्थापित करने वाली एक सस्था मात्र है जब कि वितरण कम्पनियो के अपने अपने मुख्यालय है जैसे मध्यांचल का लखनऊ, केस्को का कानपुर , पूर्वांचल का वाराणसी , दक्षिणाचल का आगरा और पश्चिमाचल का मेरठ और उत्तर प्रदेश उत्पादन निगम का लखनऊ शक्तिभवन, पारेषण निगम का भी शक्तिभवन और गोमती नगर मे , जल विद्युत का भी शक्तिभवन भवन फिर यह इतना बडा मुख्यालय किसका है प्रमुख सजिव ऊर्जा तो सचिवालय बैठते है जब सब अलग अलग कम्पनिया है तो समझ मे आया यह भ्रष्टाचार छुपाने का मुख्यालय है यहाँ तो जो एक बार दाखिल हो गया यानि कि नौकरी पर लग गया तो उसके तो वारे न्यारे हो जाते है कोई ट्रान्सफर नही होता बस उसे समय बध्य तरीके से तरक्की मिलती जाती है एक सीट से हट कर दूसरी सीट पर चले जाते मगर रहते शक्तिभवन मे ही है सेवानिवृत्त होने पर ही बाहर निकलते है प्रमोशन होने पर पैरटी यानि कि वेतन समतुल्यता हो कर वेतन बढ जाता है फिर हायरायकि यानि अपनी सीनियारटी के नाम पर वेतन बढता है यह खेल निर्बाध गति से निरंतर चलता रहता है इनमे से भी अधिकतर प्रत्याशा के नाम पर होता है पता नही अनुमोदन भी मिलता है कि नही या फिर बस प्रत्याशा ही चलती रहती है । वैसे यह आरोपो व बातो का पुख्ता प्रमाण समय के उपभोक्ता साप्ताहिक समाचार पत्र के पास मौजूद है मागने पर उपलब्ध भी कराए जा सकते है वैसे इन नेताओ के मध्य हो रही चर्चा मे एक चर्चित मामला भी सुनने को मिला जिसे पाठको के समक्ष रख रहा हूँ कि जब उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद के समय मे शक्तिभवन उसका मुख्यालय हुआ करता था तव मस्टररोल पर एक अस्थाई कर्मचारी रखा जाता है जिसका काम गर्मी के दौरान पानी पिलाना व उस समय कूलरो मे गर्मी के दौरान पानी भरने का कार्य होता था तो वो करना आदि । धीरे धीरे उसने पैठ बनानी शुरू की और जुगाड लगा कर अपनी नौकरी नियमित करा ली फिर वो चपरासी बना कर नियमित रूप से काम करने लगा , फिर धीरे से चपरासी से दौनिक श्रेणी लिपिक यानि RBC बन जाता है तत् पश्चात सहायक समीक्षा अधिकारी बनाया जाता है फिर समीक्षा अधिकारी इस दौरान वो इस कार्यालय के सारे क्रिया कलापो का ज्ञाता बन कर नेतागिरी भी शुरू कर देता है और मुख्यालय की यूनियन का बडा नेता बन जाता है फिर इसी तरह से तरक्की करते हुए आगे बढ जाता है और इतना आगे और निडर कि वो बडका बाबूओ को भी उनके किये कारनामो का खुलासा करने की धमकी दे कर उनका ही OSD बन जाता है और उच्चतम वेतनमान पाने लगता है जब OSD कार्यकाल पूरा होने मे समय कम रह जाता है तो फिर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले कर सेवानिवृत्त हो जाता है । फिर गंगा किनारे मौज की जिन्दगी काटता रहा है वैसे नाम सभी जानते है प्रथम प्रधान मंत्री का नामाराशी लेकिन इमानदार बडका बाबू को तो यहा हो रहे कारनामो का पता ही नही है वो तो फील्ड मे तैनात अधिकरीयो और कर्मचारियो के पीछे पडे रहते है जब कि सबसे बडा भ्रष्टाचार इनकी नाक के नीचे होता है और कितना भ्रष्टाचार होता है यह तो किसी को भी नही पता होगा अभी तो सिर्फ तबादला एक्सप्रेस व यह छोटा सा वेतन विसंगतियो का खुलासा किया है पाठक कल्पना कर सकते है इस विभाग को इसके ही शक्तिभवन मे बैठे कर्मचारियो ने कैसे पिछले 20 सालो मे वेतन के नाम से लूटा है। क्या कभी किसी अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबू यानि अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन और उनके सहयोगी प्रबन्ध निदेशक पावर कार्पोरेशन ने ना तो इसे जानने की कोशिश की और ना ही रोकने की क्यो कि लूट के खेल मे तेरी भी चुप और मेरी भी चुप की तर्ज पर काम जो चल रहा है ।
वैसे शक्तिभवन के भ्रष्टाचार के खुलासो का दौर आगे भी जारी रहेगा । खैर

युद्ध अभी शेष है

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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