एक झलक

विद्युत विभाग:गाड़ी हड़ताल का तीसरा दिन,नायक के खलनायक अवतार के आगे प्रबंधन नतमस्तक,राजस्व प्रभावित,अधिकारीगण पैदल,ठेकेदारों ने नायक की चेयरमैन से की तुलना

वाराणसी 4 जनवरी:पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय में यू तो प्रबन्ध निदेशक समेत निदेशकों के साथ दर्जनों मुख्य अभियंता औऱ अधीक्षण अभियन्ता के लिए विभागीय कार्यो के लिए,आने जाने के लिए विभागीय वाहनों की कमी के कारण पिछले कई वर्षों से निविदा के माध्यम से वाहन उपलब्ध होते रहे है। टेंडर की समय सीमा समाप्त हो जाने के बाद नए टेंडर होते रहे है विशेष परिस्थितियों में टेंडर का 1-2 महीनों का एक्सटेंशन भी होता रहा है सभी अधिकारियो को गाड़ी बैगर किसी विवाद के उपलब्ध होती रही है।परंतु वर्तमान समय मे नायक के खलनायक बनने से ठेकेदारों ने विभागीय संघठनो से प्रेरित हो कर उत्पीड़न, शोषण औऱ स्वेच्छाचारी रवैये के विरुद्ध गाड़ी हड़ताल कर दी।

अधीक्षण अभियन्ता,प्रशासन को नही है कोई डर,खुद की गाड़ी की व्यवस्था चाक चौबंद

मुख्यालय में गाड़ी हड़ताल से ज्यादा तर अधिकारीगण पैदल हो चुके है मुख्यालय की स्थिति बद से बदत्तर होने लगी है, निदेशक,कॉमर्शियल के पैदल हो जाने से राजस्व प्रभावित होने लगा है।पर इन सब से इतर अधीक्षण अभियन्ता, प्रशासन खुद की गाड़ी की व्यवस्था चाक चौबंद कर रखी है औऱ तमाम अधिकारियों को पैदल कर दिया है।

प्रबंधन नायक के स्वेक्षाचारी रवैये के सामने नत मस्तक, अधिकारी पस्त नायक मस्त

मुख्यालय में तमाम अधिकारियो के लिए औऱ जरूरत के अनुसार गाडियो की व्यवस्था की जिम्मेदारी अधीक्षण अभियंता, प्रशासन के पास है,डिस्कॉम में 25-30 गाडियो के लिए 3-5 ठेकेदारों ने निविदाओं के माध्यम से गाड़ियां लगवा रखी है।
परन्तु खलनायक के स्वेक्षाचारी औऱ मनमानी रवैये के कारण नया टेंडर न निकाल कर बार-बार टेंडर एक्सटेंशन करने की नीति से गाड़ी हड़ताल करवाने में विद्युत विभाग में पहली बार उच्च प्रबंधन एक अधीक्षण अभियंता की मन-मर्जियो के आगे नत-मस्तक हो चुका है औऱ नायक से बने खलनायक को शान से गाड़ी से आते-जाते देखने के साथ पैदल चलने को मजबूर है

ठेकेदारों ने अधीक्षण अभियंता की चेयरमैन से की तुलना

गाड़ी मालिको ने अधीक्षण अभियंता,प्रशासन की तुलना विभाग के चेयरमैन से की है उनका कहना है अधीक्षण अभियंता से वार्ता के दौरान उनका रुख़ कि चेयरमैन की तरह रहता है कहते गाडियो की जरूरत नही है जैसा हम चाहेंगे वैसे गाड़ी चलवाना है तो चलवाये गाड़ी मालिकों के कहना है की जब कर्मचारी मनमानी औऱ स्वेक्षाचारी रवैये के विरुद्ध चेयरमैन की ख़िलाफ़त कर सकते है तो हम क्या नही सबसे ज्यादा शोषण ठेकेदारो का होता है टेंडर मिलने से ले कर बिल पेमेंट तक कदम-कदम पर शोषण होता है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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