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विद्युत विभाग:प्रदेश के बिजली मजदूर का दर्द ..तानाशाह की तानाशाही जारी,संगठन ने जारी किया जनता के नाम संदेश

वाराणसी/लखनऊ 26 फरवरी:प्रदेश के बिजली अधिकारियो/कर्मचारियों औऱ तानाशाह के बीच लड़ाई चरम को पार कर चुकी है प्रदेश के बिजलिकर्मियो ने अबकी बार तानाशाह की तानाशाही के विरुद्घ आर-पार की लड़ाई का निर्णय कर शासन/प्रशासन को अवगत करा दिया है की बिजली कर्मी 16 मार्च से 72 घंटे की सांकेतिक हड़ताल करेंगे,पर बिजली कर्मियो का कहना है कि मजबूरी में संपूर्ण हड़ताल के लिए बाध्य हुए है।बिजलिकर्मियो का कहना है कि तानाशाह सरकार को गुमराह कर विभाग को बर्बाद करने में लगे है औऱ आये दिन किसी न किसी अधिकारी/कर्मचारी पर तानाशाही फ़रमान जारी करते रहते है उसमें भी जातिवाद चरम पर है सजातीय लोगो को लूट की छूट है।अन्य लोगो के लिए एक हाथ मे फाँसी का फंदा,दूसरे हाथ मे चाबुक लिए प्रदर्शन करते है।

बिजलिकर्मियो का बिजली लाइनो पर काम करने का अदम्य साहस,जारी किया सन्देश

संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि आम जनता/उपभोक्ता को लग रहा होगा यार ये अच्छा है एक तो सरकारी नौकरी ..ऊपर से आए दिन हड़ताल.. काम तो कभी करते नही.. अगर बिजली के मजदूर काम नही कर रहे होते तो घर-घर बिजली कहां से आ रही होती..इसपर आप कहेंगे की आती तो है लेकिन चली भी जाती है.. बिलकुल सही बात है ..कही कही पे और कभी समस्या होती क्योंकि जो बिजली आपके घर आती है वो हवा, पानी, धूप की तरह प्राकृतिक नही ..पहले इसे बिजली के मजदूर बड़ी बड़ी मशीनों की सहायता से, अपनी जान जोखिम में डालकर, बिजली का *उत्पादन* करते है यानी बिजली बनाते है.. अब ये बनी हुई बिजली किसी मोबाइल टावर से निकली हुई फ्रिक्वेंसी नही है जिसको हवा में प्रसारित कर दिया जाए और सबको सुगमता से मिल जाए ..और उससे भी बड़ी बात की इस बिजली को कही पे संचय कर के भी नही रख सकते तो इसके लिए तुरंत उत्पादन गृहों से 4 लाख 44 हजार, 2 लाख 20 हजार, 1 लाख 32 हजार आदि के विभव यानी वोल्टेज को झेलने लायक केबल तार के माध्यम से बिजली का *पारेषण* इतने ही विभव की क्षमतानुसार उपकेंद्र पे लगे बड़े बड़े ट्रांसफॉर्मर्स की सहायता से बिजली का विभव 220 के वी में परिवर्तित करके घर घर में पहुंचते है ..लेकिन इसमें भी समस्या है ..पहले तो असामाजिक लोग सुनसान रास्तों में से कभी कभी तार ही काट डालते है और उस वजह से पूरे क्षेत्र में बिजली की आवाजाही प्रभावित हो जाती है .. आप खुद ही सोचिए जिस तपती दुपहरी में लोहे के खंबे में हाथ लगाने पे फफोला पड़ जाए उस खंबे पे प्रदेज़ह का बिजली मजदूर चढ़ता है और फॉल्ट को ठीक करता है .. जाड़ा गर्मी बरसात की परवाह किए बिना बिजली का मजदूर लगा रहता है..ठीक है ..मानते है ..मगर एक मछली पूरे तालाब को गंदा करती है वैसे ही कुछ लोग भ्रष्ट जरूर है लेकिन ज्यादातर बिजली का मजदूर अपना दायित्व निभाता है ..कोई ऐसा दिन नहीं जाता जिस दिन पूरे प्रदेश से बिजली मजदूर के शहीद होने के खबर न आती हो ..सेना के बाद ऐसा कोई और दूसरा विभाग नही जहां पे इतनी बड़ी संख्या में अपने दायित्व का निर्वाहन करते हुए कर्मी को अपनी जान गवानी। बीते कोरोना काल में बिजली के मजदूर को कोरोना वारियर का भी दर्जा नही दिया गया.. जबकि पूरे कोरोना काल में अगर बिजली का मजदूर लगातार काम न कर रहा होता तो क्या कोई अस्पताल कोई ऑपरेशन थियेटर चल सकता था ?? क्या किसी बैंक का कंप्यूटर काम कर सकता था ??

एक इंजीनियर ने ब्लैक आउट होने से बचाया था प्रदेश को,IAS बैठे रहे AC कमरों में

02 जुलाई 2012 का दिन जब ताजमहल रिले में समस्या आने के कारण एक के बाद एक पहले उत्तरी फिर पश्चिमी फिर पूर्वी और दक्षिणी चारो ग्रिड फेल हो गई और पूरे देश में अंधकार छा गया था .. अस्पताल, बैंक, ट्रेनें जहां थी वही रुक गई.. पूरा जीवन जैसे थम सा गया था ..तब इंजीनियर ए०पी०मिश्रा ने अपनी कार्य कुशलता औऱ अनुभवों से प्रदेश को अंधेरे से बचाया था अगर ये IAS होते तो कुछ न कर पाते सिर्फ AC कमरों में बैठ कर विभाग को अपनी तानाशाही नीतिओ से गर्त में ले जा रहे है।इस चुनौतीपूर्ण अवस्था से बिजलीकर्मी लड़कर बाहर निकले और उसके कुछ समय बाद ही पूरे देश के बिजली मजदूरों ने चारो ग्रिड का एकीकरण कर देश की प्रगति में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया..!
*कैश-लेस चिकित्सा सुविधा से वंचित बिजली कर्मी*
प्रदेश सरकार ने राज्यकर्मियों को कैश-लेस चिकित्सा सुविधा दे रखी है उसके बावजूद ऊर्जा प्रबंधन ने बिजली के मजदूर को कैशलैस सुविधा देने से भी परहेज कर रखा है जबकि राज्य सरकार ने इसका आदेश सभी विभागों के लिए कर दिया है ..
*सरकार के साथ हुए समझौते पर भारी तानाशाह*
ऐसी ही बिजलिकर्मियो की छोटी छोटी मांगो को लेकर जब गत दिसंबर में बिजलिकर्मियो द्वारा विरोध प्रदर्शन किया तो स्वयं ऊर्जा मंत्री और मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी ने 03 दिसंबर को लिखित समझौता किया मगर आज तक उसपे कार्यान्वयन नही किया ..आज तक जब बिजलीकर्मी विरोध प्रदर्शन करते थे तो आम जनता को असुविधा न हो इसलिए हम लोग पाली यानी शिफ्ट में काम करने वालो को उससे दूर रखते थे जिससे बिजली आपूर्ति बाधित न हो ..मगर इस कुंभकर्णी नींद में सोई ऊर्जा प्रबंधन के माथे पे जूं तक नहीं रेंगी।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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