विद्युत विभाग:राजस्व(मलाई)का धमाल औऱ कमाल, निदेशक,वाणिज्य ने बनाई गूगल लोकेशन से दूरी,ऑफिस से होती वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग घर से होती राजस्व वसूली
वाराणसी 30 जनवरी:पूर्वांचल के राजस्व की बेपटरी हुई गाड़ी को पटरी पर लाने के लिए मेमोरेंडम ऑफ आर्टिकल के विपरीत नियुक्त UPPCL के चेयरमैन द्वारा जारी किए गए फ़रमान पूर्वांचल में दम तोड़ता नजर आ रहा है। पूर्वांचल के राजस्व की कमान संभालने वाले निदेशक, वाणिज्य द्वारा जारी किये गए फ़रमान की खुद ज़नाब द्वारा न फ़रमानी की जा रही है जिसको आत्मसात कर बाकी अधिकारी भी उसी राह पर चल पड़े है राजस्व वसूली के लिए सिर्फ कोरम पूरा किया जा रहा है निदेशक, वाणिज्य द्वारा MD PUVVNL GRUP पर अपनी गूगल लोकेशन न डाल कर फोटो डाल कर अपने अधीनस्थों को गूगल लोकेशन डालने के फ़रमान पर कोरम पूरा का संदेश दे रहे,जनाब की फोटो कल की है या परसों की सुबह की है या दोपहर,शाम की वो तो ज़नाब खुद ही जानते होंगे।
निदेशक, वाणिज्य की कमज़ोर नस को जानते अधिकारीगण,मलाई का कमाल,राजस्व का हाल बेहाल
पूर्वांचल के निदेशक, वाणिज्य के पद पर बैठने से पहले जनाब कुम्भ घोटाले में कमाई गई मलाई की जांच की आंच के दायरे में है औऱ जनाब बीमारी के बहाने आराम पसंद है।सभी अधिकारीगण ये समझ चुके है की ज़नाब को मलाई बहुत पसंद है मलाई के दम पर यहाँ तक का सफ़र तय किया है औऱ चापलूसी कर चेयरमैन की चहेतों की लिस्ट में शामिल होने में कामयाबी पाई इसी लिए जब से ज़नाब निदेशक, वाणिज्य का कार्यभार अपने हाथों में लिया तब से पूर्वांचल की राजस्व की गाड़ी पटरी से उतर गई है जनाब अपने राजस्व पर ज्यादा काम कर रहे है शायद इसी लिए ज़नाब के कार्यकाल में कम राजस्व लापने वाले अधिकारियो पर आज तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही न के बराबर है सारे अधीनस्थ ज़नाब की मनपसंद मलाई से हाथ,पैर औऱ मुह बंद कर रखा है सब जानते है जनाब चेयरमैन के खासमखास है सेवा में लगे रहो औऱ बचे रहो बाकी तो राजस्व वसूली होती रहेगी। इन्ही सब के कारण पूर्वांचल विगत वर्षों से राजस्व के टारगेट के आस-पास नही दिखता।
विभागीय राजस्व से नही है कोई मतलब,हो रहा है बीमारी का इलाज
विभागीय सूत्र बताते है कि निदेशक,वाणिज्य सिर्फ अपना कार्यकाल काट रहे है वे सिर्फ विभाग की सुविधाओं का लाभ ले रहे है औऱ अपनी बीमारी का इलाज अच्छी तरीके से हो इस लिए काम कर रहे है नही तो इतनी बीमारी में कौन काम करता है औऱ बीमार आदमी क्या किसी की बीमारी दूर करेगा। नौकर है,गाड़ी है, बंगला है ये सुविधा घर कंहा मिलेंगी। इनको विभाग के राजस्व से कोई मतलब नही है औऱ चैयरमैन के चहेते होने के कारण बड़के बाबू भी कुछ नही कर सकते है कुछ तो जनाब को ही बड़के बाबू मानते है।
कर्मचारियो का कहना है की पहले के अधिकारी ऐसे नही थे राजस्व वसूली के लिए AC कमरों को छोड़ कर जिलों-जिलों का दौड़ा करते थे। वो वक्त कुछ और था ये वक्त कुछ और है।
खैर देखना दिलचस्प होगा कि राजस्व की बेपटरी गाड़ी कब पटरी पर आती है निर्धारित राजस्व लक्ष्य को पाते है या राजस्व(मलाई)का कमाल औऱ धमाल होगा।