विद्युत विभाग:लिपिकीय संवर्ग की बेहाली, चतुर्थ श्रेणी संवर्ग पिसता गेहूँ में घुन की तरह,अधिकारी मस्त कर्मचारी पस्त,एक दूसरे की टांग खींचते लिपिकीय संवर्ग
वाराणसी/लखनऊ 23 फरवरी:विद्युत विभाग में कार्यरत कर्मचारियो को तीन संवर्गो में बांटा गया।
1 अभियन्ता संवर्ग
2 लिपिकीय संवर्ग
3 चतुर्थ श्रेणी
तीनों संवर्गो में अभियन्ता संवर्ग बाकी के संवर्गों में सर्वश्रेष्ठ किया गया लिपिकीय संवर्गो की सेवा लाभों से लाभान्वित करने का ज़िम्मा इनी के पास है प्रमुख रूप से कर्मचारियो की पदोन्नति का चाहे चतुर्थ श्रेणी की पदोन्नति हो या लिपिकीय संवर्गों की ये ही कमेटी बनाते औऱ पदोन्नति करते है।
पिछले 4 वर्षों में एक भी कर्मचारी की नही हुई पदोन्नति
अभियन्ता संवर्गो की प्रत्येक चयन वर्ष में कारपोरेशन में पदोन्नति होती है टी०जी० 2 से अवर अभियंता,अवर अभियंता से सहायक अभियंता,सहायक अभियन्ता से अधीक्षण अभियंता, अधीक्षण अभियंता से मुख्य अभियंता औऱ इसके आगे निदेशक बनने तक नियमित तौर पर पदोन्नति होती रहती है।परन्तु जंहा अभियंताओं को कर्मचारियों की पदोन्नति करनी होती हैं वँहा पर सिर्फ टाल मटोल कर पत्राचारों में पदोन्नति को समेट दिया जाता है,पूर्वांचल में पिछले 4-5 वर्षों में न तो डिस्कॉम स्तर से,न तो मुख्य अभियंता स्तर से औऱ न ही मंडल स्तर से पदोन्नति की गई है अधिकांश कर्मचारी अपनी पदोन्नति से पहले ही सेवा-निवृत्त हो जा रहे है पर अभियन्ता लोग अपने मे मस्त है और कर्मचारी सेवा लाभों के लिए पस्त हैं।
पढ़ा लिखा चतुर्थ कर्मचारी पदोन्नति से है वंचित
चतुर्थ श्रेणी के पढ़े लिखे कर्मचारियो की पदोन्नति भी इन्ही अभियंताओ के चक्कर मे लटकी हुई है पिछले कई वर्षों से इनकी भी पदोन्नति नही हुई है।चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की पदोन्नति मंडल स्तर से होती है,मंडल के अभियन्ता अधिकारियो द्वारा इनको हासिये पर डाल दिया गया है।
पड़ताल के दौरान पता चला कि पदोन्नति कार्यो से संबंधित कुछ लिपिकीय कर्मचारियों के द्वारा जब चहेतों को बरी आती है तो तुरंत कमेटी बना कर पदोन्नति की जाती है बाकी सिर्फ पत्राचार होता रहता है इसमें अभियंताओ की भूमिका भी संदिग्ध नजर आही है।
पूर्वान्चल,डिस्कॉम में तो मलाई खिलाओ औऱ पदोन्नति पाओ का खेल चलता है एक अवैध पदोन्नति प्रकरण की चर्चा आज भी डिस्कॉम गलियारों में चर्चा का विषय है।
पड़ताल जारी है……………