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विद्युत विभाग:शंभू के राज में संभव: एक तरफ निर्धारित राजस्व का MOU, दूसरी तरफ विभाग को करोड़ो का चूना, वाराणासी जोन क्षेत्र बना भ्रष्टाचार का अड्डा

वाराणसी 18 अप्रैल: पूर्वान्चल विद्युत वितरण निगम के वाराणसी जोन के मंडलो/खंडों में पिछले 2 वर्षों से भ्रष्टाचार के ,11 हजार लाइन /33 हज़ार लाइन की अवैध सिफ्टिंग,झटपट पोर्टल के माध्यम से अवैध वसूली आदि मामलो का लगातार उजागर होने से भ्रस्टाचारिओ में खलबली मची है। भ्रष्टाचार के कई मामलों को उपभोक्ता की आवाज़ के द्वारा प्रमुखता से उठाया गया गया।

वाराणसी के अन्य कार्यालयो में इतने बड़े-बड़े भ्रष्टाचार के मामलों उजागर होना औऱ वर्तमान के MD की भ्रष्टाचार के प्रति नरम रवैया चर्चा का विषय बना हुआ है कर्मचारियो में चर्चा है की कर्मचारियों पर प्रथमदृष्टया कार्यवाही तो तत्काल हो जाती औऱ जांच बाद में है पर बड़ अधिकारियों पर कार्यवाही के नाम पर जांच फिर जाँच रिपोर्ट आने पर लीपापोती का काम

ग्रामीण मंडल के ऐसे कई मामलों की रिपोर्ट अधीक्षण अभियंता/मुख्य अभियंता/डिस्कॉम में दफ़न है या दबी है

भ्रष्टाचार में दोषी पाये गए औऱ भ्रष्टाचार की जांच के दायरे आने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों को डिस्कॉम के गलियारों में देखा जा सकता है कोई जाँच दबवाने तो कोई जांच रिपोर्ट दबवाने की मांडोली करने में MD कैम्प औऱ निदेशको के कमरों के इर्द-गिर्द देखे जा सकते है।

ताजा मामला वाराणसी जोन के नगरीय वितरण मंडल, अधीक्षण अभियंता-प्रथम के पंचम से जुड़ा हुआ है,कर डाली करोड़ो की हेरा-फेरी

नगरीय विद्युत वितरण खंड-पंचम में अधिकारियों/कर्मचारियो ने अक्टूबर-2020 से जून-2022 तक के मध्य में 3168 उपभोक्ताओं के मीटर बेस्ड यूनिट बिल की धनराशी को घटा दिया।

सभी उपभोक्ताओं की 25000 या उनसे अधिक की धनराशी को घटाया गया है जिसकी वज़ह से लगभग 10-12 करोड़ के राजस्व का विभाग को चूना लगा है सभी की धनराशि बिल संशोधन के नाम पर घटाए जाने का मामला है।

अधिषासी अभियन्ता की ID का किया गया प्रयोग

उपभोक्ताओं के बिल की धनराशि को घटाने में अधिषासी अभियन्ता की ID का प्रयोग कर 10 किलोवाट से कम के उपभोक्ताओं का बिल घटा दिया गया जबकी विभागीय नियमो के अनुसार इस ID से सिर्फ 10 किलोवाट से अधिक के उपभोक्ताओं के बिल संसोधन किये जा सकते है।

निदेशक,वाणिज्य ने बनाई 3 सदस्यों की जांच समिति, 1 माह में देनी है जांच रिपोर्ट

मामले को संज्ञान में आने के बाद निदेशक, वाणिज्य ने अधीक्षण अभियंता,वाणिज्य की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन कर पूरे मामले की जांच कर जाँच रिपोर्ट 1 माह में सौपने के निर्देश दिए है। जांच समिति में अधिषासी अभियन्ता, वाणिज्य औऱ सहायक लेखाधिकारी को सदस्य नामित किया हैं।
खैर पैसा बोलता है सभी को तौलता है
भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध युद्ध अभी शेष है

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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