शक्ति की आराधना का अर्थ क्या है
26सितंबर 2022
शक्ति की आराधना का अर्थ क्या है क्या केवल कलश स्थापना कर के दस दिन का व्रत रख लेना क्या केवल मूर्ति स्थापित कर के मेला लगाना और गीत बजाना नहीं पूजा सांकेतिक है, देवत्व के गुण वाले अपने महान पूर्वजों की कीर्ति को याद रखने, उनका सम्मान करने, और उनके प्रति श्रद्धा समर्पित करने का… शक्ति की आराधना का मूल अर्थ है शक्ति को प्राप्त करना शक्ति अर्थात पावर, ताकत, बल… जनबल, धनबल, बाहुबल…
हम नवरात्रि में माता के किस स्वरूप की आराधना करते हैं हम आराधना करते हैं उस शक्तिशाली स्त्री की, जिन्होंने सामान्य जन पर अत्याचार करने वाले क्रूर असुरों का नाश किया जिन्होंने स्वयं रणभूमि में उतर कर महिषासुर, चण्ड, मुण्ड, रक्तबीज आदि शक्तिशाली नरभक्षियों का वध किया अब आप सोचिये क्या आपने वह साहस प्राप्त किया है कि जीवन में कोई रक्तबीज जैसा क्रूर आतंकी मिले तो आप उसका अंत कर सकें यदि नहीं, तो फिर आपने शक्ति की आराधना कहाँ की आपने शक्ति प्राप्त कहाँ की
शक्ति परम्परा में बलि का बड़ा महत्व है अब भी हर शक्ति पीठ पर बलि देने की परम्परा है। नवरात्रि में भी अष्टमी को अनेक स्थानों पर बलि दी जाती है क्या कारण है इस परम्परा का सनातन जैसी सहिष्णु सभ्यता ने बलि प्रथा को क्यों अपनाया होगा?
बलि प्रथा बनी ताकि व्यक्ति स्वयं को युद्ध के लिए तैयार कर सके ताकि वह कटते शीश देख कर विचलित न हो, वह आसुरी शक्तियों के क्रूर आक्रमण पर बिना विचलित हुए प्रतिकार कर सके अन्यथा रक्त देख कर बेहोश होने वाले पुरुषों की भी समाज मे बड़ी संख्या होती है।
यह स्पष्ट है कि जब तक सृष्टि है, तबतक दैवीय शक्तियां भी रहेंगी और आसुरी शक्तियां भी रहेंगी अपने देश के पश्चिम में देखिये, क्या आपको आसुरी शक्तियां नहीं दिखतीं आपकी सहिष्णुता उनकी क्रूरता को कम नहीं कर सकती अरबी असुरों ने पश्चिमोत्त भारत की अति सहिष्णु बौद्ध प्रजा पर कहाँ दया दिखाई थी?
आसुरी शक्तियों से स्वयं की रक्षा के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है, साहस की आवश्यकता होती है शक्ति पूजा का मूल उद्देश्य उसी शक्ति को प्राप्त करना है, उसी शक्ति को साध लेना है माँ दुर्गा की कथाएँ हमें उसी शक्ति को प्राप्त करने की प्रेरणा देती हैं उनकी कृपा से हम शक्ति प्राप्त कर सकते हैं हमें बस प्रयत्न करना होगा।