एक झलक

हाय हाय मध्याचल विधुत वितरण निगम,भ्रष्टाचारी डकार गये लेसा के 780 करोड

लखनऊ 20 जून2021 मध्याचल विद्युत वितरण निगम के अन्तर्गत आने वाले लखनऊ की विद्युत आपूर्त के लिए बनाया गया लखनऊ विद्युत अपूर्ती सम्पूर्ण प्रशासन यानि कि लेसा वैसे भी मध्याचल मे भ्रष्टाचारियो का बोलबाला है वह चाहे जानपट हो या वितरण अभी कुछ दिनो पूर्व ही एक घमण्डी भ्रष्टाचारी अरे वही 25 लाख की गाडी से चलने वाले अभीयन्ता महोदय ने आखिरकार आवंटित कार्यस्थल पर अपना कार्यभार सभाल लिया और दूसरे अधिशाषी अभियन्ता जो कि आज कल निलंबित चल रहे है चादी का जूता ले कर अपनी पुनः बहाली के लिए धूमते देखे जा रहे है खैर अब घोदाले की बात करते है राजधानी की विद्युत आपूर्ती सुधारने के लिए एक योजना आयी थी जिसका नाम था स्काडा जिसमे स्वचालित प्रणाली के द्वारा विद्युत की निर्बाध आपूर्त करना सुनिश्चित किया गया था उसमे टर्न-की के जरिए लार्सन एण्ड टूर्बो (L&T) को जिम्मेदार सौपी गयी थी और तकनीकी विशेषज्ञ के रूप मे सीमेन्स नामक एक कम्पनी को साफ्टवेयर लगाने की मात्र 80 करोड की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी थी तब लेसा के मुख्य अभियन्ता सुधीर कुमार वर्मा हुआ करते थे जो कि बाद मे लम्बे समय तक दक्षिणाचल के प्रबन्ध निदेशक बन कर सेवानिवृत्त हुए। उस समय प्रबन्ध निदेशक पावर कार्पोरेशन ए पी मिश्रा हुआ करते थे भ्रष्टाचारियो का वह सुनहरा दौर हुआ करता था एस के वर्मा को ए पी मिश्रा ने सार्वजनिक रूप से अपना उत्तराधिकारी घोषित किया हुआ था और इस काम के देख-रेख की जिम्मेदारी अधीक्षण अभियन्ता आर डी यादव के कन्धे पर डाली गयी थी उस समय यह भ्रष्टाचारियो की पूरी की पूरी टीम भ्रष्टाचार के मैदान मे दिन दूनी रात चौगनी तरक्की कर रही थी । समय बीतने के साथ भ्रष्टाचारियो के इस बडे घोटाले पर समय की धूल चढती गयी सब भूल गये और किसी जिम्मेदार को इस की कोई याद ही नही रही । सरकार बदली समाजवादी पार्टी की सरकार गयी और भारतीय जनता पार्टी की आ गयी । प्रबन्धन बदला अभियंता की जगह बडका बाबूओ ने एक बार फिर से कार्पोरेशन की कमान सभाली और मजे की बात यह है कि जिस जोडी ने प्रबन्ध निदेशक और अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली। दोनो ही पावर कार्पोरेशन के बारे मे कुछ नही जानते थे पं श्रीकान्त शर्मा ने ऊर्जा विभाग की कमान सभाली यानी पूरे प्रबन्धन को इस घोटाले की कोई भी जानकारी नही थी। नवीन योजनाए आयी सब लूट के खेल मे पुनः शुरू हो गये बडका बाबूओ को इस घोटले का पता नही और अभियन्ता वर्ग क्यो बताने लगा और चौथा स्तम्भ नये प्रबन्धन की कार्य प्रणाली समझने लगा तब से लेकर आज तक जो दौर विडिओ कान्फ्रेंसिंग का शुरू हुआ वो आज भी निर्बाध गति से चल रहा है यानि एक बडे घोटाले को धीमे से पचा लिया गया । ऐसा नही कि यह काम सिर्फ लखनऊ मे हुआ इस घोटाले मे पूर्वांचल, पश्चिमाचल, दक्षिणाचल यानि कि सारे डिस्कॉम शामिल थे एक बार फिर प्रबन्धन बदला और फिर कई घोटाले दब गये । परन्तु इस प्रबन्धन की कार्यप्रणाली देख आस हुई कि चलो कुछ घोटाले खोले जाएगे और भ्रष्टाचारी अपनी सही जगह पहुचेगे अगर प्रबन्धन इस पर कार्रवाई करता है तो ठीक वर्ना ना करने की दशा मे तब भी खुलासे जारी रहेगे । खैर

युद्ध अभी शेष है

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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