एक झलक

140 करोड़ में बिका टीपू सुल्तान का तलवार, लंदन मेंहुई नीलामी में तोड़े रिकॉर्ड…

नई दिल्ली29मई, मैसूर के 18वीं सदी के शासक टीपू सुल्तान के ऐतिहासिक मूल्यांकन को लेकर दक्षिणपंथी और वामपंथी इतिहासकारों के बीच लगातार बहस होती रहती है. वह एक इतिहास के एक ऐसे किरदार हैं जो आज की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बने हुए हैं विशेषतौर पर कर्नाटक में उन्हें लेकर राजनीतिक पार्टियां आमने सामने आ जाती हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि तमाम बहसों, विवादों के बीच टीपू सुल्तान में लोगों की दिलचस्पी बनी हुई है. इसका एक नजारा तब देखने को मिला जब टीपू सुल्तान जिन्हें ‘टाइगर ऑफ मैसूर’ भी कहा जाता है के निजी कक्ष से मिली तलवार ने लंदन में बोनहम्स के लिए भारतीय वस्तुओं की नीलामी के सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिए.

टीपू सुलतान का 1782 से लेकर 1799 तक शासन रहा। टीपू सुल्तान की यह तलवार निजी कमरे से बरामद की गई थी। इस तलवार को ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने मेजर जनरल डेविड बेयर्ड को पेश की गई थी। ब्रिटेन में हुई नीलामी में यह तलवार की बोली से रिकॉर्ड टूट गए। यह 1.4 करोड़ पाउंड यानी 140 करोड़ रुपए के करीब नीलाम हुई है।

ब्रिटेन में हुए इस नीलामी को आयोजित करने वाले बोनहम्स ने कहा कि यह तलवार उम्मीद से कई गुना अधिक बिकी है। टीपू सुल्तान की तलवार नीलामी के सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए अब तक की सबसे महंगी बिकने वाली भारतीय वस्तु बनी है।

बोनहम्स इस्लामिक एंड इंडियन आर्ट के प्रमुख ओलिवर व्हाइट ने जानकारी दी कि यह तलवार टीपू सुल्तान से जुड़े सभी हथियारों में बहुत अहमियत रखती है। टीपू सुल्तान का इससे गहरा जुड़ाव था। यह उनके निजी कक्ष से मिली थी। इस तलवार का एक असाधारण इतिहास है। टीपू सुल्तान की तलवार को ‘सुखेला’ यानी सत्ता का प्रतीक कहा जाता है। यह तलवान स्टील से बनी है और इस पर सोने से बेहतरीन नक्काशी की गई है।

टीपू के मरने के बाद अंग्रेजों को मिला तलवार-

इस्लामिक और भारतीय कला की समूह प्रमुख नीमा सागरची ने कहा कि तलवार का असाधारण इतिहास और बेजोड़ शिल्प कौशल है। समूह के प्रमुख ने कहा कि फोन के जरिए दो लोगों ने बोली लगाई, जबकि कक्ष में मौजूद एक व्यक्ति ने इस तलवार के लिए बोली लगाई। नीलामी खरीद के लिए पहुंचे लोगों में जबरदस्त मुकाबला हुआ। बता दें कि श्रीरंगपट्टनम को तबाह करने के बाद अंग्रेजों को टीपू के कमरे से कई हथियार मिले। इसमें कुछ हथियार बेहद खास और टीपू के करीबी माने जाते थे। उनमें से एक थी यह तलवार।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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