PM मोदी ने अपनी मां के लिए लिखा था ये ब्लॉग, पढ़ें
नईदिल्ली30दिसम्बर :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी का शुक्रवार सुबह 100 साल की उम्र में निधन हो गया था । तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यूएन मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर ने एक बयान में कहा, हीराबा मोदी का यूएन मेहता हार्ट अस्पताल में इलाज के दौरान 30 दिसंबर को तड़के 3.30 बजे (सुबह) निधन हो गया। मोदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकांउट में भारी मन से लिखा, ’’एक गौरवशाली शताब्दी ईश्वर के चरणों में टिकी है। मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति को महसूस किया है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, एक निःस्वार्थ कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति समर्पित जीवन समाहित है।
आपको बताते चलें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 18 जून को अपनी मां को लेकर एक ब्लॉग लिखा था। पीएम मोदी ने लिखा था। मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है। जीवन की ये वो भावना होती जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया होता है। दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो, हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है। मां, सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा मन, हमारा व्यक्तित्व, हमारा आत्मविश्वास भी गढ़ती है। और अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए वो खुद को खपा देती है, खुद को भुला देती है।
आज मैं अपनी खुशी, अपना सौभाग्य, आप सबसे साझा करना चाहता हूं। मेरी मां, हीराबा आज 18 जून को अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं। यानि उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है। पिताजी आज होते, तो पिछले सप्ताह वो भी 100 वर्ष के हो गए होते। यानि 2022 एक ऐसा वर्ष है जब मेरी मां का जन्मशताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है और इसी साल मेरे पिताजी का जन्मशताब्दी वर्ष पूर्ण हुआ है। पिछले ही हफ्ते मेरे भतीजे ने गांधीनगर से मां के कुछ वीडियो भेजे हैं। घर पर सोसायटी के कुछ नौजवान लड़के आए हैं, पिताजी की तस्वीर कुर्सी पर रखी है, भजन कीर्तन चल रहा है और मां मगन होकर भजन गा रही हैं, मंजीरा बजा रही हैं। मां आज भी वैसी ही हैं। शरीर की ऊर्जा भले कम हो गई है लेकिन मन की ऊर्जा यथावत है।
वैसे हमारे यहां जन्मदिन मनाने की कोई परंपरा नहीं रही है। लेकिन परिवार में जो नई पीढ़ी के बच्चे हैं उन्होंने पिताजी के जन्मशती वर्ष में इस बार 100 पेड़ लगाए हैं। आज मेरे जीवन में जो कुछ भी अच्छा है, मेरे व्यक्तित्व में जो कुछ भी अच्छा है, वो मां और पिताजी की ही देन है। आज जब मैं यहां दिल्ली में बैठा हूं, तो कितना कुछ पुराना याद आ रहा है। मेरी मां जितनी सामान्य हैं, उतनी ही असाधारण भी। ठीक वैसे ही, जैसे हर मां होती है। आज जब मैं अपनी मां के बारे में लिख रहा हूं, तो पढ़ते हुए आपको भी ये लग सकता है कि अरे, मेरी मां भी तो ऐसी ही हैं, मेरी मां भी तो ऐसा ही किया करती हैं। ये पढ़ते हुए आपके मन में अपनी मां की छवि उभरेगी। मां की तपस्या, उसकी संतान को, सही इंसान बनाती है। मां की ममता, उसकी संतान को मानवीय संवेदनाओं से भरती है। मां एक व्यक्ति नहीं है, एक व्यक्तित्व नहीं है, मां एक स्वरूप है। हमारे यहां कहते हैं, जैसा भक्त वैसा भगवान। वैसे ही अपने मन के भाव के अनुसार, हम मां के स्वरूप को अनुभव कर सकते हैं।