काशी-तमिल संगमम पीएम मोदी ने किया शुभारंभ
वाराणसी19नवम्बर :उत्तर और दक्षिण की संस्कृति को एकाकार करने वाले काशी-तमिल संगमम का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। यह समारोह एक माह तक चलेगा। मुख्य आयोजन बीएचयू के एंफीथिएटर मैदान में है। पीएम मोदी काशी तमिल संगमम समारोह में उपस्थित जनसभा को संबोधित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि काशी और तमिलनाडु दोनों ही संस्कृति और सभ्यता के कालातीत केंद्र हैं। दोनों क्षेत्र संस्कृत और तमिल जैसी विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं के केंद्र हैं। पीएम मोदी ने कहा कि काशी और तमिलनाडु दोनों संगीत, साहित्य और कला के स्त्रोत हैं। काशी में बनारसी साड़ी मिलेगी तो कांचीपुरम का सिल्क पूरे विश्व में मशहूर है। तमिलनाडु संत तिरुवल्लुवर की पुण्य धरती है। दोनों ही जगह ऊर्जा और ज्ञान के केंद्र हैं। आज भी तमिल विवाह परंपरा में काशी यात्रा का जिक्र होता है। यह तमिलनाडु के दिलों में अविनाशी काशी के प्रति प्रेम है। यही एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना है जो प्राचीन काल से अब तक अनवरत बरकरार है। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में संगमों का बड़ा महत्व रहा है। नदियों और धाराओं के संगम से लेकर विचारों-विचारधाराओं, ज्ञान-विज्ञान और समाजों-संस्कृतियों के संगम का हमने जश्न मनाया है। इसलिए काशी तमिल संगमम् अपने आप में विशेष है, अद्वितीय है। एक ओर पूरे भारत को अपने आप में समेटे हमारी सांस्कृतिक राजधानी काशी है, तो दूसरी और, भारत की प्राचीनता और गौरव का केंद्र, हमारा तमिलनाडु और तमिल संस्कृति है। ये संगम भी गंगा यमुना के संगम जितना ही पवित्र है। काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय हैं, दोनों शक्तिमय हैं। एक स्वयं में काशी है, तो तमिलनाडु में दक्षिण काशी है। काशी-कांची के रूप में दोनों की सप्तपुरियों में अपनी महत्ता है। तमिल के प्रसिद्ध संगीतकार व राज्यसभा सांसद इळैयराजा और उनके शिष्यों ने साज-सज्जा के साथ ऊँ, गणेश, शिव, शक्ति, समेत अन्य देवगणों का मंत्र स्तुति के साथ आह्वान किया। इस स्वरांजलि की प्रस्तुति ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पीएम मोदी और सीएम योगी समेत तमाम मौजूद लोग ताली बजाते रहे।