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पार्ट2 कुम्भ घोटाला -2019 प्रयागराज,घोटालेबाजो को 2020 से आज तक नही दिया आरोप-पत्र,फ़ाइल गायब/दबा कर किया खेल,कई बड़े अधिकारी राडार पर

वाराणसी 17जुलाई:प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में रहे वाले कार्यो में संगम,प्रयागराज में होने वाले कुम्भ में 2019 में हुए घोटाले की गुम की गई फ़ाइल बिजली विभाग के मुखिया एम. देवराज के दरबार मे पहुचने के बाद आश्चर्य-चकित करने वाले खुलासे हो रहे है।

शूत्रो के मुताबिक़ कुम्भ-2019 में दोषी पाए गए 23 इंजीनियरों को बचाने के लिए एक तत्कालीक प्रबंध निदेशक औऱ उनके खासमखास एक अधिषासी अभियंता(चिपकू)की बड़ी भूमिका रही उनके द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान आरोप पत्रों पर हस्ताक्षर न कर फ़ाइल दबा कर चिपकू के पास रख दी औऱ जाते-जाते घोटाले की फ़ाइल को गुमनामी के अंधेरो में गायब/दबा दी।पहले के प्रबंध निदेशक,पूर्वांचल डिस्कॉम के द्वारा शीघ्र कार्यवाही किये जाने की संस्तुति के बाद भी अपने कार्यकाल में प्रबंधन द्वारा घोटालेबाजो के साथ ही उसी भ्रष्टाचार में गोते लगाने लगे,जिसका उदाहरण रहा की घोटाले की फ़ाइल ग़ायब/दबा दी गई औऱ सीधे तौर पर घोटाले के आरोपियों को लाभ/बचाने का भरपूर सहयोग किया गया।फ़ाइल गायब होने की चर्चाओं की खबरे आने पर वर्तमान के प्रबंध निदेशक औऱ निदेशक(काo प्रo एवं प्रशo)पूर्वांचल निगम द्वारा घोटाले की गुम फ़ाइल को गुमनामी के कुँए से खोज निकाला,जिसके बाद घोटालेबाजो पर कार्यवाही के लिए फ़ाइल कारपोरेशन मुखिया के दरबार पहूँची।

दोषी अभियंताओ को नही दिया आरोप-पत्र,भ्रष्टाचार के गोते लगाने की शुरू हुई प्रतियोगिता,मिला कमाई का मौका

कुम्भ-2019 के घोटालों की जाँच के लिए बनाई गई त्रि-सदस्यीय जाँच कमेटी द्वारा जाँच के दौरान पाये गए वित्तीय गड़बड़-झालो की विस्तृत जाँच रिपोर्ट पूर्वांचल डिस्कॉम को वर्ष-2020 में ही सौंप दी थी,जिनमे 23 अभियंताओ को दोषी ठहराते हुए कार्यवाही की संस्तुति की थी उसी के बाद यहीं से शूरू हुआ घोटालेबाजो को बचाने औऱ बहती गंगा में हाथ धोने का खेल।तत्कालीन प्रबंध निदेशक, पूर्वांचल डिस्कॉम द्वारा दोषियों पर कार्यवाही के निर्देश दिए थे परन्तु भ्रष्टाचार के आरोपी/दोषी अभियंताओ को बचाने के लिए पूर्वांचल मुख्यालय प्रबंधन ने पूरी फ़ाइल को गुमनामी के कुएं में डाल/दबा दिया। शूत्रो के अनुसार घोटालेबाजो को बचाने के षड्यंत्र में शामिल लोग भी कारपोरेशन मुखिया की रडार पर है।

लगभग 1250 लाख से ज्यादा की धनराशि का निकला पूरा घोटाला। प्राकल्लन,निविदा,आहरण-वितरण में मनमानी

कुम्भ-2019 में सम्पादित किये गए कार्यों का स्वीकृत प्राकल्लन औऱ निष्पादित प्राकल्लन की गणना में लगभग 20 प्रतिशत की सुपरविजन, टी.एन. पी.औऱ कॉन्टेन्जेन्सी चार्जों की गणना न कर लगभग 4000 लाख का विभाग को चूना लगाया। मनमाने तरीके से आहरण-वितरण अधिकारी द्वारा लगभग 6500 लाख की धनराशि बगैर पूर्वांचल मुख्यालय के अनुमोदन के अपने तऱीके से खर्च कर भ्रष्टाचार के गोते लगाये। प्राविधानिक कार्यो के सापेक्ष निस्तारित निविदाओं में लाखों का भ्रष्टाचार किया गया। कराए गए कार्य के लिए निष्पादित प्राकल्लन में सामग्री के मूल्यों की गणना कारपोरेशन के रेस्पो रेट वर्ष 18-19 के अनुसार न कर वर्ष 17-18 के रेट से कर लगभग 2000 लाख का चूना लगया।

पैसों की खनक औऱ चांदी की चमक का कमाल,घोटालेबाज काटते रहे मलाई,पाते रहे प्रमोशन

इतना बड़ा घोटाला करने औऱ उसकी जाँच में पकड़े गए आरोपी अभियंताओ ने पूर्वांचल डिस्कॉम के प्रबंधन को पैसों की वजन/ताकत से हाथ,पैर,मुँह बंद कर घोटाले की फ़ाइल को दबवाने की क़ामयाबी के बाद विभगीय प्रमोशनो में/निदेशकों की भर्ती में जम कर चांदी की चमक औऱ पैसों की खनक से अच्छे-अच्छे पदों पर आसीन हो गए।

घोटाले में शामिल 2 आरोपी तत्कालीन अधीक्षण अभियंता शैलेन्द्र कुमार औऱ अनिल वर्मा प्रमोशन पा कर मुख्य अभियंता पदों पर रहते हुए सेवानिवृत्त हो चुके है। घोटाले में एक आरोपी तत्कालीन अधीक्षण अभियंता राजेन्द्र प्रसाद वर्तमान में निदेशक(कामर्शियल),पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड,वाराणसी के पद पर आसीन है।

कारपोरेशन के मुखिया एम. देवराज ने अपनी तीसरी आँख न खोली होती तो बाकी घोटालेबाज भी विगत दिनों विभाग में हुए प्रमोशन में प्रमुख पदों पर आसीन होते,परन्तु लिफ़ाफ़े बंद हो गए औऱ कारनामों की फ़ाइल खुल गई।

अब देखना है कि कारपोरेशन के मुखिया द्वारा कब तक होती है घोटालेबाजो पर प्रभावी कार्यवाही या हमेशा की तरह घोटालेबाजो का सेवानिवृत्त होना जारी रहेगा। वैसे चांदी की पोटली टांगे शासन औऱ प्रशासन के गलियारों में घोटालेबाजो की चहल कदमी दिखनी शुरू हो गई है,सुभचिंताको ने भी शुरू कर दिया है फ़ोन घनघनाने।

भ्र्ष्टाचार और भ्र्ष्टाचारीयो के विरुद्ध

             युद्ध अभी शेष है।

Prabandh Sampadak chandrashekhar Singh

Prabhand Sampadak Of Upbhokta ki Aawaj.

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