वेश्यावृत्ति पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला : कहा- प्रॉस्टीट्यूशन भी एक पेशा…
नई दिल्ली 26मई:सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि वेश्याओं के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृत्ति वर्क को पेशा माना है। एससी ने कहा है कि पुलिस को सहमति से सेक्स करने वाली महिलाओं और पुरुषों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि इस देश में सभी व्यक्तियों को जो संवैधानिक संरक्षण प्राप्त हैं, उसे उन अधिकारियों द्वारा ध्यान में रखा जाए जो अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम 1956 के तहत कर्तव्य निभाते हैं। पीठ ने कहा कि यौन उत्पीड़न की पीड़ित किसी भी यौनकर्मी को कानून के अनुसार तत्काल चिकित्सा सहायता सहित यौन उत्पीड़न की पीड़िता को उपलब्ध सभी सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए।
बेंच ने कहा, इस देश के हर नागरिक को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार मिला है। अगर पुलिस को किसी वजह से उनके घर पर छापेमारी करनी भी पड़ती है तो सेक्स वर्कर्स को गिरफ्तार या परेशान न करे। अपनी मर्जी से प्रॉस्टीट्यूट बनना अवैध नहीं है, सिर्फ वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है।
शीर्ष कोर्ट ने मीडिया को भी ऐसे मामलों में नसीहत देते हुए कहा कि पुलिस द्वारा गिरफ्तारी, छापेमारी और बचाव अभियान के दौरान सेक्स वर्करों की पहचान उजागर नहीं करना चाहिए। चाहे वह पीड़ित हों या आरोपी हों। ऐसी किसी तस्वीर को प्रकाशित या प्रसारित नहीं किया जाए, जिससे उनकी पहचान का खुलासा हो।