अहंकार पतन का सबसे मुख्य कारण – मुरलीधर जी महाराज
अहंकार पतन का सबसे मुख्य कारण – मुरलीधर जी महाराज
वाराणसी23 जुलाई:संत मुरलीधर जी महाराज ने कहा कि अहंकार प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के पतन का कारण बनता है। अहंकार में जीना मनुष्य की प्रवृत्ति है, इससे बचना है तो सत्संग करे अथवा संतो के सानिध्य में चले जाएं। दुर्गाकुण्ड स्थित धर्मसंघ मणि मंदिर में करपात्र प्राकट्योत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित 27 दिवसीय राम कथा के सातवें दिन शुक्रवार को कथा श्रवण कराते हुए जोधपुर, राजस्थान से पधारे मुरलीधर जी महाराज ने कहा कि माँ पार्वती ने भगवान शिव से राम जन्म के कारण पूछे, जिसके उत्तर में महादेव ने 5 कारण गिनाए, जिसमे नारद के अहंकार भंग का प्रयोजन भी शामिल था। उन्होंने कहा कि अहंकार व्यक्ति को पूर्ण रूप से कुंठा से ग्रसित कर देता है जिसका नाश भगवान ही करते है।
मुरलीधर जी महाराज ने कहा कि हरि अनंत है व इनकी कथा अनंतानंत है लेकिन इसके ज्ञान पक्ष को सुनाने से भाव व भक्ति पक्ष की समाप्ति हो जाएगी। व्यक्ति को चाहिए कि ज्ञानी की अपेक्षा भक्त बने। इसके अलावा उन्होंने विश्व कल्याण व वसुधैव कुटुंबकम् की पवित्र भावना से रचित श्री राम चरित मानस के बालकाण्ड में वर्णित प्रभु श्रीराम जन्म की भूमिका के प्रयोजनों तथा हेतुओं की विभिन्न कथाओं को विस्तार से सुनाया।
इस अवसर पर धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी ने भी श्रद्धालुओं को राम कथा का मर्म बतलाया। कथा के प्रारम्भ में धर्मसंघ के महामंत्री पण्डित जगजीतन पाण्डेय एवं रामगोपालानन्द जी महाराज ने श्री राम चरित मानस व व्यासपीठ का पूजन किया।
इस अवसर पर विजय मोदी, सुमित सराफ, राजमंगल पाण्डेय सहित कई गणमान्य नागरिक एवं विभिन्न जगहों से आये कथा प्रेमी शामिल रहे।